राष्ट्रपति भवन : 08.09.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अपनी साक्षरता दर में सुधार के लिए नए जोश के साथ समन्वित प्रयास करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य न केवल विश्व औसत के बराबर बल्कि अग्रणी देशों के स्तर पर अपनी साक्षरता दर को लाना है। वह आज (8 सितम्बर, 2013) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि साक्षरता स्तर में मौजूद लैंगिक अंतर को बालिका और महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करके समाप्त करना होगा। सभी के लिए साक्षरता प्राप्त करने के हमारे प्रयासों में, गरीबी उन्मूलन, लैंगिक तथा सामाजिक श्रेणी के आधार पर असमानता को कम करने तथा स्कूल तक पहुंच में सुधार से सहयोग मिल सकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने तंत्र को राष्ट्रीय, राज्य, खंड तथा ग्राम पंचायत, हर स्तर पर चुस्त बनाना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कार्यान्वयन के ढांचे को सरकारी एजेंसियों को और गैर सरकारी तथा निजी क्षेत्र के ख्याति प्राप्त संगठनों को सम्मिलित करने मजबूत बनाना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि निरक्षरता के खिलाफ हमारी लड़ाई में हमें इस समस्या के बारे में जनता को और अधिक जागरुक करते हुए राय निर्मित करनी होगी। इस तरह के सार्थक प्रयासों से हम उन लोगों में साक्षर बनने की आंतरिक इच्छा जगा सकते हैं जो पढ़ने और लिखने में असमर्थ हैं। साक्षरता कार्यक्रम की सफलता अंतत: लोगों की तत्परता और सहयोग पर निर्भर है।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर पुरस्कार प्रदान किए। वयस्कों के लिए एक बुनियादी शिक्षा कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया गया, जिसकी प्रथम प्रति राष्ट्रपति को भेंट की गई।
इस अवसर पर श्री एम.एम. पल्लम राजू, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, श्री जितिन प्रसाद, मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री तथा डॉ शशि थरूर मानव संसाधन विकास मंत्री भी उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1345 बजे जारी की गई।