राष्ट्रपति जी ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को प्रेरित शिक्षकों को मान्यता देनी चाहिए तथा नवान्वेषकों को प्रोत्साहित करना चाहिए
राष्ट्रपति भवन : 20.06.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (20 जून, 2013) सूर्यमणिनगर में त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय में जमीनी नवान्वेषकों और प्रेरित शिक्षकों से बातचीत की तथा नवान्वेषकों के क्लब की बेवसाइट का उद्घाटन किया।

राष्ट्रपति ने त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय को नवान्वेषक प्रदर्शनी के आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि एक ज्ञान आधारित विश्व में यह अत्यंत आवश्यक है कि जमीनी स्तर पर सृजनात्मक तथा नवान्वेषी प्रतिभा को पहचाना जाए तथा उन्हें औपचारिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जाए। उन्होंने विश्वविद्यालय का आह्वान किया कि वे इस संबंध को सशक्त करें तथा राज्य सरकारों के साथ सहयोग करके नवान्वेषकों द्वारा विकसित किए गए उत्पादों को, बिक्री योग्य उत्पादों में बदलने में उन्हें सक्षम बनाएं। उन्होंने कहा कि उद्यमियों तथा निवेषकों को आकर्षित करने के लिए विपणन कार्यनीति विकसित करने के लिए नवान्वेषकों को सहायता दी जानी चाहिए। देश की भावी आर्थिक सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि अनुसंधान और नवान्वेषण में हम किस तरह अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रेरित शिक्षकों से बातचीत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि प्रेरित शिक्षक युवा मनों पर गहरा प्रभाव डालते हैं। प्रेरित शिक्षक अपने आचरण तथा जीवन के उदाहरण से, विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में भारी योगदान देता है। प्रेरित शिक्षक अपने विद्यार्थियों में अच्छे मूल्यों का बीजारोपण करते हैं, जो किसी भी देश के विकास तथा प्रगति के लिए अनिवार्य हैं। हमारे शैक्षणिक संस्थानों को इस तरह के प्रेरित शिक्षकों को मान्यता देनी चाहिए। इन शिक्षकों को, इस तरह के अन्य शिक्षकों के साथ एक वृहत् नेटवर्क स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जिससे वे उस इलाके तथा देशभर के अधिक से अधिक विद्यार्थियों के साथ, अपना ज्ञान, विवेक तथा दर्शन को बांट सकें।

यह विज्ञप्ति 1900 बजे जारी की गई।

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