राष्ट्रपति भवन : 11.06.2015
राष्ट्रपति भवन के‘आवासी कार्यक्रम’में भाग ले रहे देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के31 प्रेरित शिक्षकों ने कल (10 जून 2015) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति जी ने कहा कि एक प्रेरित शिक्षक ऐसा मूल्योन्मुख मिशन-संचालित,आत्म प्रेरित व्यक्ति होता है जो अपने कार्यों से तथा विद्यार्थियों को उनकी क्षमता प्राप्ति में सहायता के लिए ज्ञान प्रदान करके परिवेश को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करने के लिए प्रयासरत रहता है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में उन्हें यूनानी लेखक और दार्शनिक निकोस काजां- ज़ाकिस की उक्ति में भारी समर्थन मिलता है,जिन्होंने कहा था, ‘सच्चे शिक्षक वे होते हैं जो खुद का ऐसे सेतु के रूप में प्रयोग करते हैं जिनके ऊपर से वे विद्यार्थियों को पार निकलने का अवसर दे सकें,इसके बाद उनके पार निकलने की सुविधा देकर वे खुशी-खुशी टूट जाते हैं और उन्हें अपने खुद का पुल बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि अच्छे शिक्षकों को सम्मान तथा मान्यता दिए जाने की जरूरत है। यह जरूरी है कि ऐसे प्रेरित शिक्षकों को मान्यता प्रदान की जाए जिससे उन्हें प्रेरणा और प्रोत्साहन मिले। राष्ट्रपति भवन में एक सप्ताह का‘आवासी’कार्यक्रम इस प्रयास का हिस्सा था। विदेशी दौरों में शिष्टमंडल में शैक्षणिक समुदाय के सदस्यों को शामिल करने का भी लाभ हुआ है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि आज हम भारत में जिस बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं वह है हमारे शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षण और सीखने की गुणवत्ता । अधिकांश शिक्षकों के कौशल और ज्ञानलब्धि का उच्चीकरण किए बिना हमारे देश में शिक्षा का स्तर उठाना संभव नहीं होगा। भारत को आज ऐसे बहुत से सक्षम शिक्षकों की जरूरत है जो शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए इच्छुक हों।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि पिछले वर्षों के दौरान उच्च शिक्षा संस्थानों की बढ़ती संख्या के बावजूद इनमें दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता चिंता का विषय है। यदि हम अपने इतिहास की ओर देखें तो हम कभी उच्च शिक्षा में विश्व का नेतृत्व करते थे तथा लंबे समय तक नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला,वल्लभी,सोमपुरा और ओदंतपुरी जैसे उच्च शिक्षा पीठों ने विश्व पर अपना प्रभुत्व कायम रखा। परंतु आज हम भारतीय विद्यार्थियों के विदेशों में जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के चलते उन्हें खो रहे हैं। हरगोविंद खुराना,सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर तथा डॉ. अमर्त्य सेन जैसे नोबेल विजेताओं ने अपना स्नातक अथवा स्नातकोत्तर अध्ययन भारतीय विश्वविद्यालयों में किया परंतु उच्च शिक्षा के लिए उन्हें विदेश जाना पड़ा। हम विश्वस्तरीय विद्वान पैदा कर सकते हैं परंतु वह विदेशी विश्वविद्यालयों में चले जाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस स्थिति में अंतर केवल हमारे सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।
सभी प्रेरित शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि राष्ट्रपति भवन के आवासी कार्यक्रम का सहभागी होना उनके लिए जीवन-भर का अनुभव है। उन्होंने यह भी कहा कि यह उनके लिए एक सशक्त बनाने वाला,रोचक तथा प्रेरक अनुभव रहा तथा इसने उन्हें शिक्षक के रूप में अपनी भूमिका में उत्कृष्टता प्राप्त करने के प्रति और अधिक दायित्वपूर्ण बनाया है।
प्रेरित शिक्षकों के लिए इस आवासी कार्यक्रम की घोषणा भारत के राष्ट्रपति ने5फरवरी 2015को केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के वार्षिक सम्मेलन में की थी। लेखकों,कलाकारों,जमीनी नवान्वेषकों तथा एनआईटी छात्रों के लिए इस तरह के कार्यक्रम पहले से मौजूद हैं।
यह विज्ञप्ति1240बजे जारी की गई।