राष्ट्रपति जी ने कहा कि प्रौद्योगिकी ताकत है
राष्ट्रपति भवन : 21.05.2015

देश भर से आए हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के ‘आवासी कार्यक्रम’ में भाग लेने वाले 19 छात्रों ने आज (21 मई, 2015) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति जी ने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा कि फैलाव जीवन है और संकुचन मृत्यु। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के छात्रों से आग्रह किया कि वे कभी भी रुकें नहीं और आगे बढ़ते रहें। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के छात्रों के बीच जो एक समानता उन्हें नजर आई है, वह है चाहे किसी भी क्षमता में देश की सेवा का अवसर मिले,वे बदलाव का माध्यम बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी शक्ति है। उन्होंने उनके सुखद और समृद्ध भावी आजीविका के लिए कामना की।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमारे देश में गुणवत्तापूर्ण वैज्ञानिक तथा तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाले अग्रणी संस्थान हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों का, एक अलग वर्ग के संस्थानों के रूप में, विकास विविधतापूर्ण है। कुछ पुराने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैं जिनकी स्थापना आधुनिक औद्योगिक भारत की शुरुआत के समकालीन मानी जा सकती है। वास्तव में यह तथ्य सही मायने में प्रशंसनीय है कि अपनी स्थापना के बाद से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों का विकास, विदेशी संस्थानों से सहायता लिए बिना, मुख्यत: स्वदेशी प्रयासों का परिणाम है।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि जब विविधा की बात आती है तो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली में छात्रों का अनोखा मिश्रण मिलता है। प्रत्येक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इरादातन राष्ट्रीय स्वरूप दर्शाता है और इसका परिसर ‘लघु भारत’ होता है। भारत के विभिन्न हिस्सों के छात्रों के एक ही संस्थान में घुलने-मिलने से, उनमें से हर एक में अखिल भारतीय स्वरूप की परिकल्पना विकसित होने सहित, बहुत से फायदे होते हैं।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के विद्यार्थी, वे देश की निधि हैं। इसलिए उनसे उम्मीदें और अपेक्षाएं रहेंगी। उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को समझना तथा उनका आकलन करना होगा। उन्होंने कहा कि उनकी शिक्षा के कारण उनमें न केवल बड़ा सपना देखने बल्कि उस सपने को साकार करने की भी क्षमता है। उन्होंने आग्रह किया कि वे आगे बढ़ें तथा उस समाज में कुछ योगदान दें जिसमें वे रहते हैं। वे चाहे कुछ भी करें उन्हें समाज का भला करने के विशिष्ट लक्ष्य को ध्यान में रखकर कार्य करना चाहिए।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के छात्रों का एक स्वर में कहना था कि वे राष्ट्रपति भवन में ‘आवासी’ कार्यक्रम के प्रतिभागियों के रूप में मिले जीवन भर के अवसर को सदैव याद रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस अमूल्य अनुभव ने उनमें बहुत विश्वास भरा है तथा उनमें देशभक्ति की दृढ़ भावना और देश की शासन प्रणाली के प्रति आशावाद की भावना को पुन: जाग्रत किया है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के लिए आवासी कार्यक्रम की घोषणा भारत के राष्ट्रपति ने अक्तूबर, 2014 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन के दौरान की थी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के 17छात्रों के पहले बैच ने 11 से 17 अप्रैल, 2015 के दौरान इसी तरह के ‘आवासी’ कार्यक्रम में भाग लिया था। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के छात्रों का द्वितीय बैच 16 से 22मई, 2015 के दौरान राष्ट्रपति भवन में ‘आवासी’ कार्यक्रम में भाग ले रहा है। इसी तरह के कार्यक्रम लेखकों, कलाकारों तथा बुनियादी नवान्वेषकों के लिए भी हैं। अगले महीने से यह कार्यक्रम केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्रेरित शिक्षकों के लिए भी उपलब्ध होगा।

यह विज्ञप्ति 1700 बजे जारी की गई।

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.