राष्ट्रपति भवन : 27.06.2014
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (27 जून 2014) मध्यप्रदेश के जबलपुर में जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती दीक्षांत समारोह में भाग लिए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि सेक्टर की क्षमता के पूर्ण उपयोग के लिए कुशल मानव संसाधन का विकास और प्रबंधन अत्यावश्यक है। कृषि शिक्षा इस कार्य की कुंजी है। भारत प्राचीन काल से ही उच्च शिक्षा में अग्रणी रहा है। विश्वप्रसिद्ध तक्षशिला तथा नालंदा जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में कृषि पढ़ाई जाती थी। परंतु वर्षों के दौरान, हम अपनी स्थिति बनाए नहीं रख सके। हमारे कृषि विश्वविद्यालयों से वैश्विक मान्यता अभी दूर है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि सेक्टर की सहायता तथा आम आदमी के कल्याण में कृषि विश्वविद्यालयों पर भारी दायित्व है। उनकी उपलब्धि का पैमाना उनके द्वारा तैयार किए गए स्नातकों की गुणवत्ता है। हमें अगली कृषि क्रांति का नेतृत्व करने के लिए अपने कृषि विश्वविद्यालयों से समर्पित, सक्षम तथा कठोर परिश्रम करने वाले पेशेवरों की जरूरत है। जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी इसमें अपवाद नहीं हैं तथा उन्हें कृषि में इस आसन्न रूपांतरण में पूर्ण योगदान देना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वभर में भारत चौथा सबसे बड़ा कृषि सेक्टर है। छठे दशक में खाद्यान्न का आयात करने वाले भारत के, आत्मनिर्भर तथा निर्यातक के रूप में रूपांतरण का श्रेय हमारे कृषि वैज्ञानिकों तथा किसानों को जाता है। आज भारत का विश्वभर में चावल तथा गेहूं के उत्पादन में दूसरा स्थान है। यह चावल का सबसे बड़ा निर्यातक भी है और गेहूं के निर्यात के मामले में दूसरे स्थान पर है। अब हमें बड़े संघर्षों से प्राप्त नेतृत्व के इस स्थान को बनाए रखना है।
यह विज्ञप्ति 1415 बजे जारी की गई।