राष्ट्रपति जी ने कहा कि करदाता को हमारे सभी राष्ट्रीय प्रयासों के लिए राजस्व अर्जन में महत्त्वपूर्ण साझीदार के रूप में देखा जाना चाहिए
राष्ट्रपति भवन : 29.04.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (29 अप्रैल, 2013) नागपुर में भारतीय राजस्व सेवा के 65वें बैच के दीक्षांत समारोह में भाग लिया।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कर की उगाही करना न तो आसान और न ही लोकप्रिय कार्य है। कर संग्राहकों को नागरिकों के अधिकारों एवं कर्तव्यों के बारे में जागरूक रहना चाहिए। करदाता को हमारे सभी प्रयासों के लिए राजस्व अर्जन में महत्त्वपूर्ण साझीदार के रूप में देखा जाना चाहिए। उनके द्वारा दिए गए कर से ही हमारी कल्याण योजनाओं को धन मिलता है, कानून और व्यवस्था के रख-रखाव में सहायता मिलती है तथा हमारी सीमाओं की रक्षा आदि होती है। भूतकाल में बहुत से साम्राज्य इसीलिए समाप्त हो गए क्योंकि उनके पास अपने सैनिकों का वेतन देने के लिए धन नहीं था। कौटिल्य की यह उक्ति कि, ‘कोश मूलो दण्ड:’ अर्थात ‘कर प्रशासन की रीढ़रज्जु है’, आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी हजारों वर्ष पूर्व थी।

यह विज्ञप्ति 1430 बजे जारी की गई

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