राष्ट्रपति भवन : 07.11.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (7 नवम्बर 2013) राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह पहली बार है कि राष्ट्रपति द्वारा इस प्रकार के सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जो सभी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के कुलाध्यक्ष हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि आने वाले वर्षों के दौरान भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी जनसंख्या संबंधी बढ़त होगी। हमारी पचास प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु की है तथा शीघ्र ही विश्व की कामकाजी जनसंख्या का पांचवा हिस्सा हमारे देश में होगा। परंतु इस बढ़त पर हम यूं ही भरोसा नहीं कर सकते। हमें तत्काल अपने युवाओं को अपेक्षित दक्षता तथा रोजगार प्रदान करने होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार द्वारा उच्च शिक्षा पर संसाधनों की बड़ी मात्रा का निवेश किया जा रहा है। मात्रा में अत्यधिक वृद्धि के प्रयासों के बराबर ही ‘गुणवत्ता’ में वृद्धि के भी प्रयास होने चाहिएं। हमें अपने संस्थानों को विश्व के इसी तरह के सर्वोत्तम संस्थानों की श्रेणी में पहुंचाना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह सम्मेलन भारत द्वारा मंगलयान मिशन के प्रक्षेपण के द्वारा अंतरिक्ष की खोज के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त करने के दो ही दिन बाद आयोजित हो रही है। उन्होंने कहा कि हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने यह बार-बार दिखा दिया है कि अपने दृढ़ निश्चय, नेतृत्व, कठोर परिश्रम तथा संसाधनों के द्वारा भारत उन्नत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक उत्कृष्टता प्राप्त करने में पूरी तरह सक्षम है। इसरो द्वारा प्रस्तुत उदाहरण का हमारे देश के अन्य बहुत से सेक्टरों में अनुकरण किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इंजीनियर जीवन के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे मौलिक विज्ञानों के ज्ञान को उत्पादों में रूपांतरित करते हैं। वे ऐसे उर्वर-मस्तिष्क हैं जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा समाज के बीच सेतु का निर्माण करते हैं। वे देश की प्रौद्योगिकीय तथा औद्योगिक प्रगति में योगदान देते हैं। हमारे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान ऐसे विश्व स्तरीय इंजीनियरों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो न केवल अपने पेशे में कुशल हैं वरन् प्रौद्योगिकी के उन्नत क्षेत्रों में दक्षता प्राप्त करने, अपने देशवासियों के जीवन स्तर में सुधार करने तथा हमारे देश को उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
राष्ट्रपति ने उम्मीद व्यक्त की कि भारत के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा पूरे देश में गुणवत्तायुक्त इंजीनियरी की शिक्षा प्रदान करने के अभियान में प्रमुख भूमिका निभाई जाएगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिए स्पष्ट कार्यनीतियां तैयार करनी चाहिए, जिससे नवान्वेषण तथा पेटेंटों में प्रगति होगी। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे इंजीनियरी संस्थानों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण नीति को सफल बनाने की दिशा में प्रयास करने चाहिएं। उन्हें जमीनी स्तर पर नवान्वेषण का मार्गदर्शन करना चाहिए, जिससे वे अपने विचारों को आम आदमी को फायदा पहुंचाने वाले उपयोगी उत्पादों के रूप में विकसित कर सकें।
यह विज्ञप्ति 1415 बजे जारी की गई।