राष्ट्रपति भवन : 28.10.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (28 अक्तूबर 2013) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित, द्वितीय भारत जल फौरम 2013 का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि हमारे देश में जल की मांग का बड़ा केन्द्र है। इसलिए इस सेक्टर में जल प्रबंधन हमारी समग्र जल सततता के लिए अत्यावश्क है। अत: कम प्रयोग, पुनर्चक्रण तथा पुन:प्रयोग की तीन-सूत्रीय कार्ययोजना को हमारी खेतों में उपयोग में लाना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी सिंचाई प्रणाली में जल के उचित प्रयोग को प्रोत्साहन देना होगा तथा प्रयुक्त जल के पुनर्चक्रण तथा पुन:प्रयोग के प्रयासों को दोगुना करना होगा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जैसी मौजूदा ग्रामीण विकास योजनाओं के साथ जोड़कर वर्षा जल संचयन को लोकप्रिय बनाना होगा। उन्होंने कहा कि समेकित जलागम विकास की हमारी पहलों का लक्ष्य मिट्टी में नमी बढ़ाना, तलछट कटाई में कमी लाना तथा जल की उत्पादकता में सुधार होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि सुरक्षित पेयजल तक निर्धनों की पहुंच में ऐसी मध्य बाजार प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके बढ़ोतरी करनी होगी जो वहनीय जल शोधन उपकरण प्रदान कर सकें। इस तरह के उपकरणों की प्राप्ति के लिए तथा सुरक्षित पेय जल की साझा प्राप्ति को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों का सहयोग लेना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि समेकित जल संसाधन प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन तथा घरेलू और औद्योगिक जल प्रबंधन के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले ऊर्जा तथा संसाधन ने इस समारोह के आयोजन की अगुवाई की। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन में जल उपयोग दक्षता के विभिन्न पहलुओं पर सारगर्भित तथा गंभीर विचार-विमर्श होंगे, जिससे जल उपयोग प्रबंधन पर एक सर्वसम्मत राय बन पाएगी।
इस अवसर पर केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री, श्री हरीश रावत, केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री, श्री शशि थरूर तथा टेरी के निदेशक, डॉ आर.के. पचौरी उपस्थित थे।
द्वितीय भारत जल फौरम का आयोजन ऊर्जा तथा संसाधन संस्थान (टेरी) ने शहरी विकास मंत्रालय, पेय जल तथा स्वच्छता मंत्रालय और विश्व बैंक के जल तथा स्वच्छता कार्यक्रम द्वारा किया गया है।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई।