राष्ट्रपति भवन : 24.09.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (24 सितंबर, 2013) बीजापुर सैनिक स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोहों में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि यदि भारत को उन्नत देशों की श्रेणी में स्थान बनाना है तो उसे शिक्षा की नींव मजबूत करनी होगी। उन्होंने हमारे समाज में प्राय: नजर आने वाले सभ्यतागत मूल्यों के व्यतिक्रमों पर चिंता व्यक्त करते हुए स्कूल प्राधिकारियों का आह्वान किया कि वे युवाओं और युवतियों में अनुशासन, करुणा, सहिष्णुता, दूसरों के नजरियों के प्रति सम्मान, अपने कर्तव्यों के प्रति सम्मान तथा राष्ट्र के प्रति उच्च दायित्व बोध जैसे बुनियादी सभ्यतागत मूल्यों का समावेश करने के लिए हर-संभव प्रयास करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि सैनिक स्कूल हमारे पूर्व रक्षा मंत्री श्री वी.के.के. मेनन, श्री वाई.बी. चव्हाण, कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री, श्री एस. निजलिंगप्पा तथा तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री के.एल. श्रीमाली जैसे महापुरुषों की दूरदर्शितापूर्ण योजना तथा नेतृत्व का परिणाम थे। इस प्रसिद्ध उक्ति का उल्लेख करते हुए कि वाटरलू का युद्ध एटन तथा हैरो के खेल के मैदानों में जीता गया था, राष्ट्रपति जी ने भारतीय सेना के उन सैनिकों और अधिकारियों की सराहना की जो सीमाओं की चौकसी में सतत् मुस्तैद रहते हैं तथा जो प्राकृतिक आपदा अथवा जब भी कानून और व्यवस्था के रखरखाव के लिए उनकी सहायता की जरूरत होती है, वे सदैव असैनिक प्राधिकारियों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं।
यह विज्ञप्ति 1345 बजे जारी की गई।