राष्ट्रपति भवन : 07.08.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (7 अगस्त 2013) चेन्नै में एम.एस.स्वामिनाथन अनुसंधान फाउंडेशन के रजत जयंती समारोहों में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2013 भारतीय कृषि एवं सामाजिक इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि का वर्ष है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश प्रख्यापित कर दिया है तथा इससे संबंधित विधेयक आज लोकसभा में प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संसद इस उपाय का अनुमोदन करेगी। यह माना जाता है कि यह पहल, भूख के विरुद्ध विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा संबंधी प्रयास है। अब से, हमारी जनसंख्या के दो तिहाई हिस्से के लिए, वहनीय मूल्य पर भोजन की उपलब्धता एक कानूनी अधिकार हो जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भोजन के बारे में यह अधिकार आधारित नजरिया तभी सफल हो सकता है जब भारत में कृषकों और कृषि पर अधिक ध्यान दिया जाए। प्रो. एम.एस. स्वामिनाथन की अध्यक्षता में, राष्ट्रीय कृषक आयोग ने हरित क्रांति को सतत् हरित क्रांति में बदलने के लिए बहुमूल्य सिफारिशें दी हैं जिसके फलस्वरूप सतत् रूप से उच्च उत्पादकता प्राप्त होती रहेगी और इससे संबद्ध पारिस्थितिकीय नुकसान भी नहीं होंगे। कृषि के लिए भूमि एक घटता हुआ संसाधन है इसलिए इसका कोई विकल्प नहीं है कि कम भूमि और सिंचाई के कम पानी से अधिक उत्पादन लिया जाए। इसी उद्देश्य से एम.एस. स्वामिनाथन अनुसंधान फाउंडेशन द्वारा प्रायोजित कृषक सहभागिता अनुसंधान कार्यक्रम तथा फार्म स्कूल जैसे कृषक- से-कृषक शिक्षण संस्थान अत्यधिक मूल्यवान हैं।
राष्ट्रपति जी ने भारत की हरित क्रांति तथा खाद्य आत्मनिर्भरता के लिए प्रो. एम.एस. स्वामिनाथन के योगदान को विशिष्ट बताया। उन्होंने कहा कि देश सदैव प्रो. स्वामिनाथन को उनके अग्रणी कार्य के लिए याद रखेगा।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने खाद्य एवं कृषि संगठन की कुट्टनाड समुद्र-तलीय कृषि प्रणाली को एक वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली के रूप में मान्यता देते हुए केरल के मुख्यमंत्री श्री ओमन चांडी को एक पट्टिका प्रदान की
यह विज्ञप्ति 1725 बजे जारी की गई।