राष्ट्रपति भवन : 09.07.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (9 जुलाई, 2013) किशनगढ़ में राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 38 प्रतिशत शैक्षणिक पद रिक्त हैं। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इन्हें भरने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया है।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान, राष्ट्रों के भविष्य को साकार करने का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। आर्थिक विकास, ज्ञानपूर्ण अर्थव्यवस्था की सफल प्रगति पर निर्भर करता है, जिसका आधार सुदृढ़ शिक्षा प्रणाली में निहित है। शैक्षिक उत्कृष्टता के प्रयास के साथ नैतिक विकास का प्रयास भी जुड़ा होना चाहिए। जीवन की उनकी तैयारी, मातृभूमि के प्रति प्रेम, कर्तव्यों का निर्वहन; सभी के प्रति करुणा; बहुलवाद के प्रति सहिष्णुता; महिलाओं का सम्मान; जीवन में ईमानदारी; आचरण में आत्मनियंत्रण; कार्यों में जिम्मेदार और अनुशासन के हमारे अनिवार्य सभ्यतागत मूल्यों की बुनियाद पर टिकी होनी चाहिए।
उन्होंने राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय से आग्रह किया कि वह एक सुदृढ़ नवान्वेषण संस्कृति निर्मित करे। उन्होंने कहा कि नवान्वेषण प्रगति और समृद्धि की कुंजी है। नवान्वेषण की प्रक्रिया ज्ञान को सामाजिक भलाई और आर्थिक सम्पत्ति में बदल देती है। यह युवा प्रतिभा को जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए समाज के साथ जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय परिसर में नवान्वेषण प्रदर्शनी का उद्घाटन किया तथा नवान्वेषकों के साथ बातचीत की और शिक्षकों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हमें नवान्वेषणों को आधुनिक आकार और रूप देकर वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा का सामना करने के लिए अपने नवान्वेषकों को सक्षम बनाना चाहिए।
यह विज्ञप्ति 1525 बजे जारी की गई।