राष्ट्रपति भवन : 30.09.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में एशिया एवं प्रशांत के लिए एकीकृत ग्रामीण विकास केन्द्र की शासी परिषद की उन्नीसवीं बैठक का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि ग्रामीण विकास सदैव हमारे देश का प्राथमिक कार्यक्रम रहा है। पिछले दशक के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार के नजरिए में भारी परिवर्तन देखा गया है। ग्रामीण सशक्तीकरण पर कानूनों और ठोस कार्यक्रमों के जरिए ध्यान केंद्रित किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गरीबी पर निर्णायक असर डालने तथा विकास की प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक ग्रामीण विकास कार्यनीति जरूरी हो गई है। दूरियों को मिटाने- न केवल भौगोलिक वरन् प्रगति एवं विकास में भी- के लिए प्रौद्योगिकी को साधन के रूप में कार्य करना होगा। भूमि, जो अब दुर्लभ संसाधन होती जा रही है, का दक्षतापूर्ण प्रबंधन करना होगा। भूमि, खासकर वर्षा सींचित, अनुपजाऊ तथा परती भूमि, की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सामुदायिक सशक्तीकरण के सिद्धांतों को अपनाना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि विकासशील देशों, खासकर एशिया प्रशांत क्षेत्र का यह साझा लक्ष्य है कि ग्रामीण क्षेत्र को राष्ट्रीय प्रगति का महत्वपूर्ण योगदान देने वाला कारक बनाया जाए। एशिया एवं प्रशांत के लिए एकीकृत ग्रामीण विकास केन्द्र को, जो सक्रिय रूप से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा दे रहा है, इसमें बड़ी भूमिका निभानी है। उन्होंने कहा कि उनका यह दृढ़ विश्वास है कि यह केन्द्र एशिया प्रशांत क्षेत्र में देशों के भविष्य को संवारने में सहयोग देगा । इस प्रभावशाली क्षेत्रीय समूह का प्रसार नए क्षेत्रों में करने के बारे में सकारात्मक सोच रखी जानी चाहिए। उन्होंने इस शासी परिषद की बैठक में विचारों और अनुभवों के खुले आदान-प्रदान का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस बैठक से प्राप्त निष्कर्षों तथा निर्णयों से कल की चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर तैयारी हो पाएगी।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में, श्री जयराम रमेश, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री, श्री प्रदीप जैन, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री तथा श्री लाल चंद कटारिया, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई।