राष्ट्रपति भवन : 03.07.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (3 जुलाई, 2013) दिल्ली जिमखाना क्लब की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में भाग लिया। उन्होंने इस अवसर पर विशेष रूप से डिजायन किया गया स्मारक डाक टिकट और शताब्दी स्मारिका भी जारी की।
आरंभ में 3 जुलाई, 2013 को इंपीरियल दिल्ली जिमखाना क्लब के रूप में स्थापित, जिमखाना क्लब के भवन की संकल्पना सर एडवर्ड लुट्येंस द्वारा की गई थी जिन्होंने राष्ट्रपति भवन की भी रूपरेखा बनाई थी। जिमखाना क्लब और राष्ट्रपति भवन का निर्माण एक वर्ष के अंतराल में पूरा हुआ था और दोनों ही भवन उस वास्तुकला शैली का मूर्त रूप हैं जिसके लिए लुट्येंस सुविख्यात हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि दिल्ली जिमखाना क्लब इतिहास का विशिष्ट साक्षी रहा है। यहां के मंडपों में उन लोगों की बहुत सी बैठकें हुई थी जिन्होंने भारत के एकीकरण तथा अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण में प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि यह क्लब श्री वी.पी. मेनन जैसे अधिकारियों की बैठक का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है जिन्होंने सरदार पटेल को सहयोग दिया और भारतीय संघ में शामिल होने के लिए भारतीय राजाओं को आश्वस्त करने के लिए कड़ा परिश्रम किया। महात्मा गांधी और लॉर्ड इरविन के बीच क्लब में एक निजी बैठक हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप गांधी इरविन संधि हो पाई। यहीं पर वरिष्ठतम भारतीय अधिकारी, जनरल के.एम. करिअप्पा ने उन सहकर्मियों के लिए एक विदाई पार्टी का आयोजन किया था जिन्होंने विभाजन के दौरान पाकिस्तान जाने का निर्णय लिया था। अपने भाषण में उन्होंने कहा, ‘‘मेरे फौजी दोस्तो, विभिन्न सेवाओं में अपने पूरे जीवन के दौरान, हम एक साथ जीए हैं, मिलकर काम किया है, उन अनेक रण क्षेत्रों में खेले हैं जहां हमारी पराक्रमी सशस्त्र सेनाओं ने उच्चतम बंधुत्व और मैत्री के साथ लड़ाइयां लड़ी हैं। हमारी यह भावना अलग होने के बाद भी कायम रहे।’’
राष्ट्रपति ने क्लब के सदस्यों से इसकी महान परंपरा को बनाए रखने का आह्वान किया।’’
यह विज्ञप्ति 2015 बजे जारी की गई।