राष्ट्रपति भवन : 28.06.2014
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (28 जून, 2014) इंदौर, मध्य प्रदेश में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को याद दिलाया कि उन्हें सदैव यह तथ्य ध्यान में रखना चाहिए कि जो शानदार शिक्षा वे प्राप्त कर रहे हैं वह राज्य तथा समुदाय का योगदान है। जिस भूमि पर उनका विश्वविद्यालय खड़ा है वह समुदाय द्वारा प्रदान की गई है। इसी प्रकार, ये भवन, उनके भरे-पूरे पुस्तकालय तथा ऑनलाइन डॉटोबेस आदि उस धन से उपलब्ध हुए हैं जो राज्य ने उन पर निवेश किया है। देश अपने विद्यार्थियों पर इसलिए निवेश करता है क्योंकि विद्यार्थी हमारा भविष्य हैं। इसी प्रकार, विद्यार्थियों को भी, न केवल अपने खुद के और अपने परिवार के प्रति, बल्कि देश तथा इसकी जनता के प्रति भी उत्तरदायित्व पूरा करना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों पर अपने विद्यार्थियों में जिज्ञासा पैदा करने तथा वैज्ञानिक मनोवृत्ति को बढ़ावा देने का दायित्व है। विद्यार्थियों तथा जमीनी नवान्वेषकों के विचारों को पंख मिलने चाहिए। ऐसे नवीन विचारों की, जिन्हें व्यवहार्य उत्पादों में विकसित किया जा सके, विश्वविद्यालयों द्वारा मानीटरिंग होनी चाहिए। कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नवान्वेषण क्लबों की स्थापना की पहल की गई है। इस तरह के क्लबों की गतिविधियों का, उस क्षेत्र में स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में स्थित नवान्वेषण प्रोत्साहकों के साथ संयोजन किया जाना चाहिए। इन क्लबों के प्रोत्साहकों के साथ संयोजन से एक ऐसा ‘नवान्वेषण संजाल’ तैयार करने में सहायता मिलेगी जो अनुसंधान के उच्च केंद्रों तथा आम आदमी के बीच संबंध स्थापित करेगा। उन्होंने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से आग्रह किया कि वह इन्दौर में इस तरह के ‘नवान्वेषण क्लब’ की स्थापना के लिए आगे आएं।
v राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार एक राष्ट्रीय अकादमिक कोष की स्थापना की प्रक्रिया में है। यह कोष विभिन्न परिषदों और विश्वविद्यालयों द्वारा जारी अकादमिक प्रमाणपत्रों के ऑनलाइन सत्यापन की सुविधा प्रदान करने के लिए अकादमिक अर्हताओं का राष्ट्रीय डॉटाबेस होगा। इससे, संस्थानों, विद्यार्थियों तथा नियोक्ताओं को अधिप्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने अथवा प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए शैक्षणिक संस्थानों के पास जाने की जरूरत को खत्म करने में बहुत सहायता मिलेगी तथा संस्थानों को अपने विद्यार्थियों की अकादमिक उपलब्धियों का रिकॉर्ड बहुत लम्बे समय तक रखे रखने की जरूरत कम होगी। राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि इस सभी कदमों से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
यह विज्ञप्ति 1505 बजे जारी की गई।