राष्ट्रपति भवन : 28.09.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (28 सितंबर, 2013) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भारतीय बार परिसंघ द्वारा कोनरेड एडेनॉयर फाउंडेशन के सहयोग से ‘भारतीय संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांत एवं समावेशी विकास’ विषय पर आयोजित अखिल भारतीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह अवसर हमारे लिए नीति निर्माण के नीति निर्देशक सिद्धांतों के बेहतर प्रयोग के द्वारा समावेशी विकास के लक्ष्य के लिए खुद को पुन: समर्पित का अवसर है। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता, मुख्य न्यायाधीश द्वारा तथा कार्यकारी सत्रों की अध्यक्षता उच्चतम् न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों के द्वारा किए जाने के कारण उन्हें पूर्ण विश्वास है कि इस संगोष्ठी से नवान्वेषी परिणाम प्राप्त होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे राष्ठ्र निर्माताओं द्वारा संविधान में नीति निर्देशक सिद्धांत शामिल करने के पीछे मूल कारण हर एक व्यक्ति के विकास के माध्यम से देश के सामासिक विकास की प्राप्ति थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सुनिश्चित करना प्रत्येक लोकतंत्र का एक चिरप्रतीक्षित लक्ष्य होता है कि प्रत्येक व्यक्ति न केवल राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए सक्षम महसूस करे बल्कि वह आर्थिक प्रगति तथा समाज परिवर्तन का हिस्सा बने। उन्होंने कहा कि हमारी विकास प्रक्रिया की विशेषता इसकी समावेशिता है। सभी के लिए स्वास्थ सुविधा तथा शिक्षा को प्राथमिकता प्रदान करने की दिशा में हमारे प्रयासों की सराहना हुई है। इस देश के नागरिकों को भोजन, शिक्षा तथा रोजगार प्रदान करके सशक्त बनाया गया है। उन्हें कानूनी गारंटी के साथ हक प्रदान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नागरिक कल्याण के सिद्धांतों के द्वारा संचालित इन पहलों ने भारत के समावेशी विकास को एक सच्चाई बना दिया है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति को डॉ. अरुण मोहन द्वारा रचित पुस्तक ‘जस्टिस, कोर्ट्स एंड डीलेज’ की प्रथम प्रति प्रस्तुत की गई।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में न्यायमूर्ति श्री पी. सताशीवम्, भारत के मुख्य न्यायाधीश, श्री प्रवीण एच पारेख, अध्यक्ष, भारतीय बार परिसंघ तथा श्री हरीश एन साल्वे, अध्यक्ष, स्वागत समिति शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई।