राष्ट्रपति भवन : 22.08.2014
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (22 अगस्त, 2014) राष्ट्रपति भवन में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की शासी परिषदों के अध्यक्षों तथा निदेशकों के सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को देश के बौद्धिक नेतृत्व की संज्ञा देते हुए कहा कि वे इस बात पर विचार करें कि शिक्षा की गुणवत्ता कैसे सुधारी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस बात के आत्मविश्लेषण की जरूरत है कि उच्च शिक्षा के संस्थानों में सुशासन में क्या रुकावटें हैं। यदि हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों को विश्व के सर्वोत्तम संस्थानों से प्रतिस्पर्धा करनी है तो इन संस्थानों का शासन विश्व के सर्वोत्तम संस्थानों के समान होना चाहिए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की परिषदों का आह्वान किया कि वे वैश्विक परिपाटियों के अनुरूप रोडमैप तैयार करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरिक्ष में दूसरे देशों के उपग्रह स्थापित करने की हमारी तकनीकी क्षमताओं के बावजूद हम अभी भी भारतीय मुद्रा के लिए सुरक्षा विशेषताओं और कागज से लेकर रक्षा उपकरणों तक प्रौद्योगिकी को आयात कर रहे हैं। हमें यह देखने की जरूरत है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के भावी अनुसंधानों का किस तरह से देश की प्रौद्योगिकी जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। अभी तक हम उद्योग-शिक्षण संस्थान के अंत:संबंधों पर ध्यान दे रहे हैं परंतु अब हमें सरकार-शिक्षा संस्थानों के अंत:संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की परिषदों को इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान किस तरह से सरकार की प्रौद्योगिकीय जरूरतों को पूरा करने का स्रोत बन सकते हैं तथा ‘भारत में बनाएं’ तथा ‘भारत में बना हुआ’ की परिकल्पना के संवाहक बन सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि अच्छी शिक्षा प्रणाली का ढांचा चार स्तंभों पर खड़ा होता है—मूल्य, शिक्षक, विद्यार्थी तथा अवसरंचना। संकाय-सदस्यों की भारी कमी जैसी समस्याओं का ततकाल समाधान किया जाना चाहिए। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में रिक्तियों की स्थिति 10 प्रतिशत से 52 प्रतिशत के बीच है तथा 16 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में कुल रिक्तियां 37 प्रतिशत से अधिक हैं। रैंकिंग प्रक्रिया को महत्त्व देने की जरूरत है। यह प्रक्रिया वास्तविकता की जांच करने तथा आत्म विश्लेषण करते हुए संस्थान को वैश्विक नक्शे पर स्थापित करने का अवसर प्रदान करती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के संकाय सदस्यों को उनके कौशल, वैश्विक पहुंच तथा गतिशीलता का उपयोग करने के लिए सरकारी ढांचे में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की परिषदों का आह्वान किया कि वे इन संस्थानों के शासन में पूर्व विद्यार्थियों की सहभागिता के लिए उपयुक्त ढांचा तैयार करें।
राष्ट्रपति ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे इंजीनियरी संस्थानों का आह्वान किया कि वे विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण नीति को सफल बनाने के लिए प्रयास करें। उन्होंने यह भी कहा कि नवान्वेषण तथा विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के नवान्वेषण क्लबों के बीच मजबूत संबंध बनने चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत की सबसे बड़ी शक्ति इसकी जनसंख्या संबंधी बढ़त रहेगी। इससे हमें विश्वभर के लिए कुशल मानव शक्ति का आपूर्तिकर्ता बनने का विशिष्ट अवसर मिला है। इसके लिए हमें वर्ष 2022तक 500 मिलियन लोगों को कुशल बनाने का अपना लक्ष्य प्राप्त करना होगा। इस संदर्भ में सभी कुशलता संबंधी प्रयासों को कौशल विकास मंत्रालय में एक साथ लाना एक स्वागत योग्य कदम है और इससे हमें ‘कुशल भारत’ की रचना करने में सहायता मिलनी चाहिए। सिलोस में कार्यरत सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी कार्यक्रमों को डिजिटल इन्डिया की रचना के लिए एक स्थान पर लाया जाना चाहिए। इस ‘नेटवर्क ग्रिड’को कौशल विकास मंत्रालय द्वारा विकसित किए जा रहे ‘कौशल ग्रिड’ के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने सभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को राष्ट्रपति भवन में मार्च, 2015 में प्रस्तावित एक सप्ताह के ‘नवान्वेषण महोत्सव’ में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।
सम्मेलन को प्रधानमंत्री तथा मानव संसाधन विकास मंत्री ने भी संबोधित किया।
यह विज्ञप्ति 1300 बजे जारी की गई।