राष्ट्रपति भवन : 11.04.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (11 अप्रैल, 2013) नई दिल्ली में एक समारोह में भारत प्रबंधन पुरस्कार 2013 प्रदान किए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेताओं को देश की प्रगति में योगदान के लिए बधाई दी। उन्होंने यह उम्मीद व्यक्त की कि वे दूसरे प्रबंधकों तथा उद्यमियों को भी राष्ट्र निर्माण की दिशा में व्यापक चिंतन के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के उज्ज्वल भविष्य में अडिग भरोसा है। उन्होंने कहा कि भारत प्रबंधन पुरस्कारों के विजेता उनके इस विश्वास का प्रतीक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की बढ़ती हैसियत के अनुरूप प्रबंधन के सिद्धांतों का अनुप्रयोग न केवल व्यापार और उद्योग में बल्कि सामाजिक परिवर्तन तथा शासन जैसी महत्त्वपूर्ण प्रक्रियाओं में भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी प्रगति इस बात से तय होगी कि हम इस परिवर्तन का प्रबंधन कैसे करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत प्रबंधन पुररस्कार इसी जरूरत का द्योतक हैं तथा इस वर्ष के पुरस्कार विजेता भी इसी सच्चाई का प्रतीक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी मानव शक्ति को प्रगति के साझीदार के रूप में विकसित करने के लिए सर्वांगीण प्रयास किए जाने जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि अधिक संख्या में तकनीकी संस्थान स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। ऐसे मौजूदा संस्थानों का उच्चीकरण करना होगा जो कि गुणवत्ता में पिछड़े रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी ही प्रतिस्पर्धा में हमारे घरेलू उद्योगों की जीत की क्षमता को तय करेगी। उन्होंने कहा कि हमारे अनुसंधान एवं नवान्वेषण संबंधी प्रयास प्रौद्योगिकी उच्चीकरण की दिशा में होने चाहिए ताकि उत्पादन प्रक्रिया सरल हो सके, गुणवत्ता में सुधार आए तथा दक्षता लाभ प्राप्त किए जा सकें।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की एक ज्ञानवान अर्थव्यवस्था की ओर प्रस्थान के प्रबंधन के लिए हमारे देश को दूरद्रष्टा व्यापार नेतृत्व की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम यह भी चाहते हैं कि भारतीय उद्योग हमारी विकास प्रक्रिया को प्रगाढ़ बनाने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करे। उन्होंने आगे कहा कि हमारे उद्योगों को सभी को आर्थिक विकास में सहभागी के रूप में शामिल करने का प्रयास करना चाहिए।
यह विज्ञप्ति 1920 बजे जारी की गई