राष्ट्रपति भवन : 09.04.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (9 अप्रैल, 2013) कुरुक्षेत्र में ‘आधुनिक विश्व की चुनौतियां : भारतविद्या के माध्यम से समाधान’ विषय पर आयोजित की जा रही राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। यह संगोष्ठी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की गई थी।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि समय आ गया है कि हम एक बार फिर से भारत की समृद्ध परंपराओं में निहित मूल्यों और उपदेशों का विश्व में प्रचार करें। उन्होंने युवाओं को नैतिक शिक्षा देने के महत्त्व पर जोर दिया।
भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में नैतिक शिक्षा प्रदान करने हेतु एस.राधाकृष्णन के नेतृत्व में 1948-49 की विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग की सिफारिशों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्थानों को जीवन प्रबंधन संबंधी पाठ्यक्रम पढ़ाने चाहिएं ताकि विद्यार्थियों को आधुनिकता की नई विश्व दृष्टि देते हुए जीवन के विभिन्न प्ररिप्रेक्ष्यों के प्रति उनका अभिमुखीकरण किया जा सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि भौतिकता प्रधान ऐसे विश्व में, जहां बहुत से लोग अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए कोई भी साधन अपनाने को उचित मानते हों, भारतीय संस्कृति की शिक्षा एक वैकल्पिक मॉडल प्रदान कर सकती है। भारतीय संस्कृति का एक समृद्ध इतिहास है तथा हमारे प्रयासों की थाती इस आधुनिक विश्व की भलाई के लिए समर्पित है।
यह विज्ञप्ति 1800 बजे जारी की गई