राष्ट्रपति भवन : 19.11.2012
भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (19 नवम्बर 2012) विज्ञान भवन में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कुपोषण के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी सूचना, शिक्षा और संप्रेषण अभियान की शुरुआत की।
अभियान आंरभ करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि कुपोषण के विभिन्न आयामों के प्रति जन जागरूकता बढ़ाना ऐसे अभियान की सफलता के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पूर्व कार्रवाई के माध्यम से कुपोषण रोकने के लिए जन सहयोग प्राप्त करना बहुत जरूरी है। राष्ट्रपति ने कहा कि सामुदायिक जागरूकता से बाल देखभाल और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभावी प्रयोग को प्रोत्साहन तथा समुदायों द्वारा सरकारी प्रयासों को समर्थन और सहयोग और अधिक बढ़ेगा।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि अभियान की शुरुआत सरकार के समेकित बाल विकास सेवा के सुदृढ़ीकरण और पुन:निर्मित करने के अनुमोदन के साथ हो रही है क्योंकि इससे सबसे गरीब और वंचित तक पहुंचते हुए पूरे देश के 13.2 लाख घरों के 6 वर्ष तक के लगभग 8 करोड़ बच्चों और 1.8 करोड़ गर्भवती व दूध पिलाने वाली माताओं को जीवन पर सीधा और सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने याद दिलाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दृढ़ संकल्प के परिणामस्वरूप इस कार्यक्रम को 1975 में 33 सामुदायिक विकास खण्डों में आंरभ किया गया था और आज यह समेकित पूर्व बाल विकास का विश्व का सबसे विशाल और सबसे अनूठा कार्यक्रम बन गया है।
अपने व्याख्यान के अंत में, राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत की पोषण चुनौतियों पर राष्ट्रीय परिषद् की पहल के अनुसरण में अभियान आरम्भ करने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय को बधाई दी।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. एम.एम. पल्लम राजू, केन्द्रीय महिला और बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा तीरथ, युनिसेफ के कन्ट्री हैड श्री लुइस जार्जेस आर्सेनाल्ट, फिल्म अभिनेता श्री आमीर खां और मैक्केन वर्ल्ड वाइड के सी.ई.ओ. श्री प्रसून जोशी शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 2020 बजे जारी की गई