राष्ट्रपति भवन : 11.12.2012
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा कृषि में अधिक समग्र और व्यापक दूसरी हरित क्रांति का आह्वान किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों के साथ ग्रामीण बुनियादी सुविधाएं, मानव विकास तथा पारिस्थितिकी और पर्यावरण के प्रति और अधिक संवेदनशीलता जुड़ी होनी चाहिए। इस भावी विशाल कार्य को देखते हुए, यह आवश्यक है कि सरकार को इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र को पूरी तरह शामिल करते हुए नए ढांचों के द्वारा उपयुक्त साझीदारी करनी चाहिए। वह आज (11 दिसम्बर, 2012) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ के सहयोग से कृषि मंत्रालय द्वारा आयोजित सार्वजनिक-निजी साझीदारी के माध्यम से भारतीय कृषि में दूसरी हरित क्रांति पर राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।
राष्ट्रपति ने कृषि मंत्रालय और भारतीय उद्योग परिसंघ से आग्रह किया कि वह कृषि क्षेत्र को केवल आनुपातिक महत्त्व दिए जाने के तर्कों के बहकावे में न आएं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र का समाज के प्राय: सभी हिस्सों के साथ सम्बन्ध है। इसके विकास से अत्यावश्यक सामाजिक और आर्थिक बदलाव आ सकता है, जिसके बिना अन्य क्षेत्रों में या समग्र से रूप देश में आर्थिक विकास अपना अर्थ खो देगा।
इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री तारिक अनवर, भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष श्री अदि बी. गोदरेज और भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक श्री चन्द्रजीत बनर्जी भी उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1515 बजे जारी की गई