राष्ट्रपति भवन : 15.02.2014
45वें दो दिवसीय राज्यपाल सम्मेलन का कल (14 फरवरी, 2014) राष्ट्रपति भवन में समापन हुआ।
इस दो दिवसीय राज्यपाल सम्मेलन की कार्यसूची में बाह्य एवं आतरिक सुरक्षा वातावरण, अनुसूचित क्षेत्र तथा पूर्वोतर क्षेत्र के विकास मुद्दे, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तथा आपदा प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाना शामिल है।
इस सम्मेलन में छब्बीस राज्यपालों तथा तीन उपराज्यपालों ने भाग लिया।
इस दौरान विभिन्न राज्यपालों के समूहों ने राज्यों और संघ के बीच सेतु के रूप में राज्यपालों की भूमिका; संविधान की छठी अनुसूची के अधीन क्षेत्र; पूर्वोत्तर परिषद तथा संबंधित मुद्दों; संविधान की पांचवीं अनुसूची के अधीन क्षेत्र; शिक्षा संस्थाओं के कुलाधिपतियों के रूप में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने में राज्यपालों की भूमिका तथा आपदा प्रबंधन पर रिपोर्टें प्रस्तुत की।
इस सम्मेलन को केंद्रीय रक्षा, वित्त, गृह, विदेश, विधि और न्याय, जनजातीय कार्य, मानव संसाधन विकास, योजना आयोग के उपाध्यक्ष तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने संबोधित किया तथा परिचर्चाओं में भाग लिया।
राज्यपालों तथा उपराज्यपालों ने अपने-अपने राज्यों/संघ क्षेत्रों में हालात तथा चिंता के महत्त्वपूर्ण मुद्दों से सम्मेलन को अवगत कराया। उन्होंने केंद्र तथा राज्यों के बीच समन्वय में सुधार कैसे लाया जाए, सुरक्षा कैसे मजबूत की जाए तथा विकास गतिविधियां कैसे तेज की जा सकती हैं, जैसे विषयों पर बहुत से रचनात्मक सुझाव दिए।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री ने समापन सत्र को संबोधित किया।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि इस सम्मेलन में बहुत से प्रासंगिक और गंभीर मुद्दों पर चर्चा हुई। हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं तथा सांविधिक प्राधिकारियों को सशक्त करने की जरूरत है। संविधान में राज्यपालों को केंद्र तथा राज्यों के बेहतर हित में कार्य करने के लिए समुचित अवसर प्रदान किए गए हैं। जहां केंद्र सरकार को राज्यों के बोर में महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर परामर्श लेकर तथा प्रमुख मंत्रालयों तक उनकी सुगमता से पहुंच उपलब्ध कराकर राज्यपालों को सहयोग देना चाहिए, वहीं राज्यपालों को राज्य की जनता के कल्याण से जुड़े मुद्दों पर राज्य सरकार के साथ सहमति बनाने के लिए अपने प्रेरणा कौशल का उपयोग करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने राज्यपालों को याद दिलाया कि वे राज्यों के प्रथम नागरिक हैं। उन्हें संविधान से शक्ति प्राप्त होती है तथा उन्होंने संविधान की हिफाजत, संरक्षण तथा रक्षा करने और अपने राज्यों की जनता के कल्याण की दिशा में कार्य करने के लिए शपथ ली है।
हाल ही में पूर्वोत्तर के लोगों के साथ जातीय हिंसा की घटनाओं को अत्यंत दुखद बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं पर मरहम लगाने के लिए तेजी से कदम उठाए जाने चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साथ परामर्श करते हुए राज्यपालों/रेक्टरों की भूमिका से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करना चाहिए तथा उसे राज्यपालों को उन विभिन्न स्कीमों की पूरी जानकारी देनी चाहिए जो इसके द्वारा शुरू की गई है।
इस बात का उल्लेख करते हुए कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर स्थित राज्यों, संघ क्षेत्रों के राज्यपालों ने सीमा अवसंरचना के तेजी से निर्माण की त्वरित आवश्यकता पर जोर दिया है, राष्ट्रपति ने संबंधित प्राधिकारियों का आह्वान किया कि वे, समन्वय तंत्र के गठन सहित इस दिशा में जरूरी उपाय करें।
यह विज्ञप्ति 1200 बजे जारी की गई।