राष्ट्रपति भवन के ‘आवासी कार्य्रक्रम’ में सितंबर 2014 में दो कलाकार एवं दो लेखक भाग लेंगे
राष्ट्रपति भवन : 21.08.2014

राष्ट्रपति भवन के‘आवासी कार्यक्रम’ में सितंबर 2014 में दो कलाकार एवं दो लेखक भाग लेंगे।

देश भर से प्राप्त आवेदनों में से विशेषज्ञ समिति द्वारा चुने गए लेखक एवं कलाकार हैं (1) सुश्री यिशे डोमा भूटिया, गंगटोक, सिक्किम से, (2) डॉ. वेमपल्ली गंगाधर, कडप्पा, आंध्रप्रदेश से, (3) श्री राहुल सक्सेना, चेन्नै, तमिलनाडु से तथा (4) श्री प्रताप सुधीर मोरे, मुंबई महाराष्ट्र से। यह 8 से 26 सितम्बर 2014 के दौरान राष्ट्रपति भवन में ठहरेंगे।

डॉ वेमपल्ली गंगाधर, तुलुगू के लेखक हैं तथा इन्हें साहित्य अकादमी द्वारा 2011 में उनकी कृति ‘मोलाकला पुन्नामी’ के लिए युवा पुरस्कार प्रदान किया गया था। उन्होंने किसानों, महिलाओं तथा रायलसीमा के सूखाग्रस्त क्षेत्रों जैस मुद्दों पर बहुत सी पुस्तकें एवं लेख लिखे हैं।

सुश्री यिशे डोमा भूटिया, सिक्किम साहित्य सम्मान 2013 से पुरस्कृत पत्रकार एवं लेखिका हैं। वर्तमान में सिक्किम एक्सप्रेस की कॉपी एडिटर के रूप में कार्यरत उन्होंने लेजेन्डस ऑफ द लेपचास: फोकटेल्स फ्रॉम सिक्किम, सिक्किम: द हिडन फ्रुटफुल वैली,सिक्किम ए टैवलर्स कम्पेनियन; द लेगेसी मेकर: पवन चामलिंग्स आइडियास दैट शेप्ड सिक्किम आदि बहुत सी पुस्तकें लिखी हैं।

श्री राहुल सक्सेना स्वयं का एक ऐसे ‘परिवर्तन के कलाकार’ के रूप में उल्लेख करते हैं जो कि रोजाना काम आने वाली सामग्री को अप्रत्याशित कलाकृतियों में बदल देता है। उनका यह मानना है कि परिवर्तन की यह चाह बहुत सी संभावनाओं का ठोस धरातल खडा कर देती है। श्री सक्सेना 15 वर्षों तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ कारपोरेट जगत में अपनी सेवा का परित्याग करके पूर्णकालिक कलाकार बन गए।

श्री प्रताप सुधीर मोरे ने बहुत से पुरस्कार प्राप्त किए हैं। उनकी कलाकृतियों का भारत एवं विदेशों में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन हुआ है। श्री मोरे के कार्य का केन्द्रीय विचार शरीर, शहरी धरातल तथा इन दोनों के बीच रिश्ता है। उन्होंने अपनी कलाकृतियों द्वारा पुन: विकास, विस्थापन तथा शहरी धरातल के मौलिक विकास जैसे मुद्दों पर कार्य किया है।

लेखकों, कलाकारों के लिए ‘आवासी’ कार्यक्रम भारत के राष्ट्रपति द्वारा 11 दिसम्बर 2013 को युवा तथा नवोदित लेखकों और कलाकारों को राष्ट्रपति भवन के सुंदर एवं शांत वातावरण में प्रकृति के नजदीक रहने की सुविधा प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित करने की दृष्टि से शुरू किया गया था। यह कार्यक्रम एक ऐसा परिवेश प्रदान करेगा जो सर्जनात्मक चिंतन को प्रेरणा देगा तथा कलात्मक ज़ज्बों को सशक्त करेगा।

श्री जोगेन चौधरी, संसद सदस्य (राज्य सभा), राष्ट्रपति भवन के पूर्व कीपर आर्ट तथा विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के प्रोफेसर ऐमेरिटस इस कार्यक्रम के तहत पहले आवासी कलाकार थे।

यह विज्ञप्ति 1050 बजे जारी की गई।

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