राष्ट्रपति भवन : 25.12.2012
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने महिलाओं के बारे में नकारात्मक धारणाओं को बदलने का आग्रह किया।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में आज (25 दिसंबर 2012) महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय की जन्म शताब्दी के समापन समारोह के अवसर पर आयोजित विशेष दीक्षांत समारोह में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए तथा उन्हें ऐसा सुरक्षित, निरापद और अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए जिसमें उनकी प्रतिभा का विकास हो सके और वे राष्ट्र निर्माण में अपने पूरी क्षमता से योगदान कर सकें। भारत के इतिहास, इसकी परंपराओं, इसके धर्मों तथा इसके सांस्कृतिक मूल्यों तथा संविधान के तहत इतना तो कम से कम होना ही चाहिए। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संकाय और विद्याथियों का आह्वान किया कि वे लैंगिक मुद्दों पर जागरुकता फैलाने और समग्र समाज में इसके प्रति चेतना जागृत करने के लिए आगे आएं।
महामना पंडित मदनमोहन मालवीय को एक राजनेता, विद्वान, शिक्षाविद्, पत्रकार, समाज सुधारक तथा विधिनिर्माता बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माण में उनका असीम और विविध योगदान रहा है। मालवीय जी ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित कर दिया। वे महिला शिक्षा के बहुत हिमायती थे। महिलाओं की शिक्षा तथा उनकी सशक्तता पर उन्होंने जो बल दिया था उसको देखते हुए हमें इस दिशा में अपने प्रयासों में तेजी लानी होगी।
राष्ट्रपति ने अन्तर-सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र और मानव मूल्य और नैतिकता केंद्र की आधारशिला का अनावरण किया। उन्होंने महामना पर एक वेबसाइट का भी शुभांरभ किया।