मदर टेरेसा को संत की उपाधि देने की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का संदेश
राष्ट्रपति भवन : 03.09.2016

भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने अपने संदेश में कहा, ‘मैं यह जानकर प्रसन्न हूं कि पोप फ्रांसिस द्वारा 04सितंबर, 2016 को वेटिकन सिटी में मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया जाएगा।

मदर टेरेसा करुणा का एक अवतार थीं। उन्होंने अपना समस्त जीवन गरीब से गरीब लोगों और वंचित लोगों के लिए समर्पित कर दिया। मदर टेरेसा स्वयं को ‘भगवान के हाथों में एक छोटी पेंसिल’के रूप में देखती थीं और वह अपना कार्य चुपचाप मुस्कुराते हुए हार्दिक मानवोचित रूप से करती रहीं। सदैव एक सरल श्वेत, नीली बार्डर वाली साड़ी पहने हुए, मदर टेरेसा ने अपना कार्य असीम प्रेम और प्रतिबद्धता से किया। मदर टेरेसा ने उन लोगों को प्रतिष्ठा एवं सम्मान दिया जो जीवन से हार गए थे। वह गरीबों की मसीहा थी और कमजोर और कष्ट से पीडि़त लोगों की सहायता का स्तंभ थीं। उनके सरल तौर तरीके सभी विश्वास मतों के करोड़ो लोगों के दिल को छूते थे।

पूरे समाज के ‘भूखे, नंगे, बेघर, अपंग, अंधे लोगों, कुष्ट रोगियों, उन सभी रोगियों के लिए जो अवांछित महसूस करते हैं, अप्रिय, उपेक्षित लोगों की देखभाल करने के मिशन से’ मदर टेरेसा ने 1950 में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। वे लोग जो समाज पर बोझ बन गए थे और सबके द्वारा त्याग दिए गए थे’की देखभाल करने के लिए आज चैरिटीज ऑफ मिशनरीज की शाखाएं अपने धर्म और सामाजिक स्थिति की परवाह ना करते हुए निरंतर अनेक देशों में मानव सेवा में रत हैं और जरूरतमंदों के लिए कार्य कर रही हैं।

मदर टेरेसा का विश्वास था कि अपने में से कुछ देना वास्तविक खुशी प्रदान करता है और जिस व्यक्ति को देने की अनुमति है उसे सबसे कीमती उपहार प्राप्त होता है। उन्होंने अपने जीवन में विनम्र सेवाओं की प्रतिष्ठा से कीर्तिमान स्थापित किया है। मदर टेरेसा की निःस्वार्थ और समर्पित सेवाओं को मान्यता देने में एक आभारी देश ने 1980 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ पुरस्कार प्रदान किया।

मदर टेरेसा अकसर कहा करती थीः ‘गरीब को सबसे अधिक आवश्यकता इस बात की है कि उसे जरूरतमंद होने का अहसास कराया जाए, और उसे प्रेम का अहसास कराया जाए। सभी प्रकार की बुराइयों के लिए इलाज और उपचार हैं परंतु जब कोई अवांछनीय होता है, जब सेवा करने वाले हाथ और प्यार करने वाले दिल नहीं होते तब एक वास्तविक उपचार की कोई उम्मीद नहीं होती।’ उनका प्यार का संदेश विश्व में करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

भारत का प्रत्येक नागरिक मदर टेरेसा को उनके मानीवय और ईश्वरीय सेवा के लिए संत की इस उपाधि से विभूषित करने द्वारा मान्यता देने के लिए गर्व महसूस करेगा। आइए हम सब मदर टेरेसा के उदाहरण से प्रेरित होकर मानव जाति के कल्याण में स्वयं को समर्पित कर दें।

यह विज्ञप्ति1600 बजे जारी की गई।

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