मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी में भारत और रूसी विश्वविद्यालयों के नेटवर्क की राष्ट्रपति मुखर्जी की उपस्थिति में शुरुआत हुई
राष्ट्रपति भवन : 08.05.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (08 मई 2015) मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी गए तथा वहां उच्च शिक्षा के भारत और रूसी संस्थानों के नेटवर्क की शुरुआत का अवलोकन किया। इस अवसर पर भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और रूसी विज्ञान फाउंडेशन और रूसी विश्वविद्यालय के बीच एक करार तथा भारत और रूसी विश्वविद्यालय के बीच कई करारों पर हस्ताक्षर हुए।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और रूस के बीच शैक्षणिक सहयोग का लंबा इतिहास है। 1950 के अंत में सोवियत यूनियन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बंबई को इसके आरंभिक चरण में सहयोग दिया था। 1970, 80 तथा 90 के दशक में दसों हजार भारतीय बच्चों ने रूस में शिक्षा प्राप्त की। हालांकि पिछले वर्षों में इस संख्या में कमी आई है। अभी भी चार हजार भारतीय विद्यार्थी रूसी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं। हमारे कुछ संस्थानों द्वारा विद्यार्थियों,अनुसंधान तथा संकाय सदस्यों के आदान-प्रदान तथा अनुसंधान प्रकाशनों के आदान-प्रदान के क्षेत्र में सक्रिय सहयोग कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि रूसी शिक्षण संस्थानों की उपलब्धि की एक महान विरासत है। बहुत पहले 1930 में सोवियत यूनियन की अपनी यात्रा के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर ने रूसी विश्वविद्यालयों को ‘शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कार’ की संज्ञा दी थी। इसी शिक्षा प्रणाली के कारण रूस को ज्ञान के राष्ट्र के रूप में सराहनीय सफलता मिली है। इससे रूस को पदार्थ विज्ञानों, एयरोस्पेस,परमाणु विज्ञान, पेट्रोकेमिकल, खनन तथा भारी इंजीनियरी जैसे क्षेत्रों में प्रौद्योगिकीय सफलता मिली है।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारत और रूस के शिक्षा संस्थानों के बीच और अधिक व्यापक तथा संस्थागत सहयोग की जरूरत है। दिसंबर 2014में भारत और रूस के बीच शीर्ष बैठक में दोनों देशों ने अपने विश्वविद्यालयों के बीच साझीदारी के नेटवर्क का समर्थन देने का निर्णय लिया था। बहुत से विश्वविद्यालय अपने दूसरे देशों के समकक्षों के साथ सहयोग के अवसर पहचानने में लगे हैं तथा भविष्य में व्यवस्थित सहयोग के लिए व्यवस्था को औपचारिक रूप देने के लिए तैयार हैं। भारतीय और रूसी विश्वविद्यालयों के नेटवर्क की स्थापना से संकाय सदस्यों अनुसंधानकर्ताओं,विद्यार्थियों के आदान प्रदान, संयुक्त अनुसंधान कार्यकलापों तथा वैज्ञानिक सम्मेलनों और संगोष्ठियों जैसे और अधिक संस्थागत संबंधों की स्थापना में सहायता मिलेगी।

यह विज्ञप्ति 2115 बजे जारी की गई।

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