केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के एक दिवसीय सम्मेलन का 5 फरवरी को समापन
राष्ट्रपति भवन : 07.02.2013

केंद्रीय विश्वविद्यालयों, जिनके राष्ट्रपति कुलाध्यक्ष हैं, के कुलपतियों का एक दिवसीय सम्मेलन, कुलपतियों द्वारा सम्मेलन की कार्यसूची की चार मदों पर विस्तृत सिफारिशें प्रस्तुत करते हुए, 5 फरवरी, 2013 को राष्ट्रपति भवन में समापन हुआ।

कुछ सिफारिशें निम्नवत् थी :

कार्यसूची मद संख्या 1 : केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने तथा संकाय विकास हेतु ऐसे अपेक्षित कदम, जिससे इसे विश्व के सबसे अच्छे विश्वविद्यालयों के समकक्ष लाया जा सके

० भारत तथा विदेशों से, विभिन्न स्तरों पर अल्पकालिक तथा युवा संकाय सदस्यों की भर्ती की स्वतंत्रता तथा पोस्ट डॉक्टोरल पदों की स्वीकृति

० भर्ती के उद्देश्य से, असाधारण विद्वानों के मामले में अनुभव में छूट।

० केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए एक स्वतंत्र परिषद की स्थापना

(कुलपतियों ने अपनी वैयक्तिक प्रस्तुतियों में भी केंद्रीय विश्वविद्यालय में संकाय पदों तथा कुलाध्यक्ष के नामितों के पदों को शीघ्रता से भरने की जरूरत पर बल दिया)

कार्यसूची मद संख्या 2 : समीपवर्ती क्षेत्रों में विस्तार कार्य के माध्यम से शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम

० हर एक विश्वविद्यालय खुद समुदाय से संपर्क करेंगे—संबद्धों के संकुल की पहचान करेंगे—स्टेकधारकों के कन्सोर्टियम गठित करेंगे।

० विश्वविद्यालय ‘लोक विद्या’-परंपरागत ज्ञान और कौशल, को बढ़ावा देंगे और उसका विकास करेंगे।

० विश्वविद्यालय, नवान्वेषकों तक पहुंच कर उनकी निर्देशिका तैयार करेंगे, जमीनी स्तरीय नवान्वेषकों को सामने लाएंगे और उन्हें सुविधा प्रदान करेंगे, उत्पादन में तथा संपदा अधिकारों की रक्षा में उनकी सहायता करेंगे।

० केंद्रीय विश्वविद्यालयों में जहां भी संभव हो, नवान्वेषण केंद्रों/अनुसंधान पार्कों की स्थापना करेंगे।

० स्थानीय सांस्कृतिक भंडार का उपयोग करेंगे तथा स्थानीय कलाओं के लिए विश्वविद्यालय के सहयोग को संस्थागत बनाएंगे, निजी सेक्टर की सहायता से निश्चित कार्यक्रमों की स्थापना करेंगे।

कार्यसूची मद संख्या 3 : केंद्रीय विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का कारगर ढंग से प्रयोग

० मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क के सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी कार्यक्रमों के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करना।

० प्रत्येक केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षा प्रौद्योगिकी टूल का अधिकतम प्रयोग करने तथा सामग्री विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शिक्षा प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठों की स्थापना।

० वीडियो कान्फ्रैंसिंग सुविधाओं का उपयोग; ई-क्लासरूम की स्थापना, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग पर कार्यशालाओं का आयोजन; नियमित पाठ्यचर्या आदान-प्रदान में ई-कान्टेंट का प्रयोग तथा अन्य संस्थानों के उपयोग हेतु विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर क्लास-रूम शिक्षण वीडियो पोस्ट करना।

कार्यसूची मद संख्या 4 : प्रत्येक केंद्रीय विश्वविद्यालय के वर्तमान वैधानिक ढांचे के तहत, कुलाध्यक्ष-विश्वविद्यालय संपर्क बढ़ाने के लिए सुझाव

० प्रत्येक केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक ‘प्रेरित शिक्षक नेटवर्क’ तथा एक ‘नवान्वेषक क्लब’ की स्थापना।

० कुलाध्यक्ष और प्रेरित शिक्षकों तथा नवान्वेषकों के बीच समय-समय पर संवाद।

० अनुसंधान में असाधारण उपलब्धि के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार की स्थापना

० प्रत्येक केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रतिभावान विद्यार्थियों को समय-समय पर राष्ट्रपति भवन में कुलाध्यक्ष के साथ संवाद का अवसर।

० कुलाध्यक्ष और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के बीच नियमित टेली और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रौद्योगिकी आधारित सम्पर्क/संवाद

भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने अपने समापन उद्बोधन में सम्मेलन के परिणामों से संतोष व्यक्त किया और ध्यान दिलाया कि पहली बार, पूर्ण दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया जहां केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 40 कुलपतियों ने उनके तथा प्रधानमंत्री, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रियों और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने सिफारिशों के लिए कुलपतियों को धन्यवाद दिया और कहा कि इनके शीघ्रता से कार्यान्वयन के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विस्तृत जांच की जाएगी। उन्होंने यह सिफारिश मान ली कि कुलपति सम्मेलन का आयोजन वार्षिक आधार पर किया जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सिफारिशों पर आगे कार्रवाई के लिए कुलपतियों की एक समिति का गठन किया जाए।

राष्ट्रपति ने कहा कि कुलपतियों को, एक-दूसरे के साथ तथा विद्यार्थियों के साथ संवाद के लिए, प्रेरित शिक्षकों की पहचान करनी चाहिए। प्रत्येक विश्वविद्यालय में नवान्वेषण क्लब की स्थापना और नवान्वेषण प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों की अपनी भावी यात्राओं के दौरान, वह प्रेरित शिक्षकों और नवान्वेषकों से संवाद करेंगे। उन्होंने विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि हर एक विश्वविद्यालय कम से कम एक उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना करे तथा भारत और विदेश के विशेषज्ञों के साथ सहयोग बढ़ाएं। उन्होंने कुलपतियों से यह भी आग्रह किया कि वे मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उपलब्ध सूचना प्रौद्योगिकी टूल्स का अधिक से अधिक प्रयोग करें और वादा किया कि वह स्वयं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ संवाद के लिए उपलब्ध रहेंगे।

राष्ट्रपति ने कुलपतियों और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से आग्रह किया कि वे यथासंभव छह महीनों के भीतर संकाय पदों की रिक्तियों को भरने का प्रयास करें तथा उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि कुलाध्यक्ष के नामितियों की रिक्तियां तीन से छह महीनों में भर दी जाएंगी।

यह विज्ञप्ति 1430 बजे जारी की गई

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