जॉर्डन विश्वविद्यालय ने राष्ट्रपति को मानद डाक्टरेट की उपाधि प्रदान की
राष्ट्रपति भवन : 11.10.2015
विद्यार्थी और शिक्षकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, जो देश आतंकवादियों की पहचान और उनसे निपटने में चयन की नीति अपना रहे हैं,विशेषकर जो इन ताकतों को अपने इलाकों में पनपने की छूट दे रहे हैं, वे अंतत: इन्हीं तत्वों के कारण खतरे में पड़ जाएंगे।
जॉर्डन विश्वविद्यालय ने अम्मान में एक समारोह में आज (11 अक्तूबर, 2015) राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी को राजनीति विज्ञान में मानद डाक्टरेट की उपाधि प्रदान की।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जॉर्डन के साथ अपनी मैत्री को अत्यंत महत्व देता है। वर्षों से भारत और जॉर्डन का संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सरकारों के बीच बेहतर समझ तथा संयुक्त राष्ट्र सहित बहु-स्तरीय मंचों पर परस्पर सहयोग द्वारा घनिष्ठ होते रहे हैं। फिलस्तीन,मध्य-पूर्व शांति प्रक्रिया सीरिया, ईराक के मुद्दों तथा इस क्षेत्र के समक्ष वर्तमान चुनौतियों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों को तेज करने की आवश्यकता पर सहमति पर विचारों की समानता इन अहम मुद्दों के प्रति साझा दृष्टिकोण दर्शाती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपनी विदेशी और घरेलू नीतियों में शांतिपूर्ण सहयोग के प्रति कटिबद्ध है और रहेगा। पड़ोस में अस्थिरता सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती है और इससे प्रगति धीमी हो सकती है। ऐसे समय में जबकि समूचा विश्व आतंकवाद के खतरे से प्रभावित है, यह जानना जरूरी है कि भारत लगभग चार दशक से इस खतरे का सामना कर रहा है। हमारे पड़ोस से पैदा हो रहा आतंकवाद हमारे लिए प्रमुख सुरक्षा खतरा बना हुआ है। हम मानते हैं कि इस चुनौती पर ध्यान देना अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रमुख प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत का विश्वास है कि जो देश आतंकवादियों की पहचान और उनसे निपटने में चयन की नीति अपना रहे हैं विशेषकर जो इन ताकतों को अपने इलाकों में पनपने की छूट दे रहे हैं, वे अंतत: इन्हीं तत्वों के कारण खतरे में पड़ जाएंगे। भारत आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने में जॉर्डन के प्रयास तथा इस दिशा में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयत्नों में इसकी भागीदारी की सराहना करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि फिलस्तीन को भारत का पारंपरिक समर्थन, इजराइल के साथ हमारे घनिष्ठ संबंध जोड़ते हुए दृढ़ और अविचलित रहेंगे। भारत के इजराइल के साथ द्विपक्षीय संबंध फिलस्तीन के साथ हमारे रिश्तों से अलग है। भारत एक वार्तागत संबंध का समर्थन करता है जिससे एक संप्रभु, स्वतंत्र, व्यवहार्य और संगठित फिलस्तीन देश हो जिसकी राजधानी पूर्वी येरूसलम हो तथा वह सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर हो। भारत फिलस्तीन को क्वार्टेट रोडमैप और संबंधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों की स्वीकृति के अनुसार इजराइल के साथ शांतिपूर्ण ढंग से रहते हुए देखना चाहता है। भारत ने सभी बहुस्तरीय मंचों पर इस मुद्दे के लिए समर्थन जुटाने में एक सक्रिय भूमिका निभाई है। भारत ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और फिलस्तीनी मसले के व्यापक समाधान के लिए कार्य करने का आग्रह किया है। भारत फिलस्तीन को बजटीय, आर्थिक और विकासात्मक सहायता प्रदान करते हुए प्रसन्नता हो रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सीरिया में चल रही हिंसा से बेहद चिंतित है। भारत सीरियाई संघर्ष से जुड़े सभी पक्षों से हिंसा छोड़ने के लिए लगातार कहता रहा है ताकि एक समावेशी राजनीतिक संवाद का माहौल तैयार किया जा सके। हम इसे ही एक व्यापक, स्थायी, राजनीतिक समाधान के रूप में देखते हैं क्योंकि इस संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है। हम यह दोहराते रहे हैं कि इस प्रकार के संवाद में सीरियाई जनता की उचित आकांक्षाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए। भारत मानता है कि सीरिया की पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता कायम करने में एक प्रमुख और बुनियादी भूमिका है। सीरिया के लंबे संघर्ष ने पहले ही इस और उससे आगे के क्षेत्र पर एक गंभीर प्रभाव छोड़ना शुरू कर दिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें अरब जगत के एक पा्रचीनतम और सबसे विख्यात शिक्षा केंद्र जॉर्डन विश्वविद्यालय के साथ मानद डाक्टरेट की उपाधि के माध्यम से जुड़ने पर वास्तव में प्रसन्नता हुई है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जॉर्डन विश्वविद्यालय की उनकी यात्रा से जॉर्डन विश्वविद्यालय और भारतीय उच्च शिक्षा केंद्रों के बीच मौजूदा साझीदारियां सुदृढ़ होंगी तथा नए सहयोग आरंभ होंगे। भारत इस महान राष्ट्र के अधिकाधिक विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं का स्वागत करने के लिए प्रतीक्षारत है।
यह विज्ञप्ति 21:00 बजे जारी की गई।