राष्ट्रपति भवन : 25.01.2014
जापान के महामहिम प्रधानमंत्री, श्री शिंजो एबे ने आज (25 जनवरी, 2014) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
जापानी प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए, राष्ट्रपति ने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि जापान के प्रधानमंत्री पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे। राष्ट्रपति ने श्री एबे की 2007 की यात्रा को याद किया था जब उन्होंने संसद को संबोधित किया था और कहा कि उनका अभिभाषण अभी भी भारतीयों के दिलों में गूंजायमान है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, प्रधानमंत्री एबे के पितामह, नोबुसुके किशी का अत्यधिक सम्मान करते थे। यह प्रधानमंत्री किशी थे जिन्होंने जापान की आधिकारिक विकास सहायता कार्यक्रम का शुभारंभ किया था।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को, हाल ही में जापान के सम्राट और महारानी की भारत की प्रथम राजकीय यात्रा पर स्वागत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भारत, भारत-जापान संबंधों को बहुत महत्व देता है तथा प्रधानमंत्री एबे के इस विचार की सराहना करता है कि भारत-जापान संबंधों में द्विपक्षीय रिश्तों में सबसे अधिक विस्तार की संभावना है।
राष्ट्रपति ने याद किया कि भारत जापान की विदेशी विकास सहायता का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा है जो भौतिकीय ढ़ांचे को उन्नत बनाने के भारत के प्रयासों के लिए अमूल्य रहा है।
समुद्री मार्गों की सुरक्षा और व्यापार के निर्बाध प्रवाह के लिए भारत और जापान के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। भारत, जापान के साथ व्यापार को पूर्ण क्षमता तक विस्तृत और विविध करने के लिए तत्पर है। राष्ट्रपति ने उम्मीद व्यक्त की कि श्री एबे की भारत यात्रा से अनेक क्षेत्रों में दोनों देशों के रिश्तों में घनिष्ठता आएगी।
श्री एबे ने राष्ट्रपति के कथन के प्रत्युत्तर में कहा कि यह सात वर्षों के दौरान जापानी प्रधानमंत्री की पहली भारत यात्रा है। वह गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किए जाने पर सम्मानित अनुभव करते हैं। उन्होंने कहा कि जापान के सम्राट और महारानी ने 53 वर्ष के बाद भारत की यात्रा की थी। वे भारत में प्राप्त हार्दिक अतिथि सत्कार से अभिभूत हुए थे।
जापानी प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच कार्यनीति और वैश्विक साझीदारी में निरंतर प्रगति हुई है। दोनों देशों की रक्षा सेनाओं में सहयोग से समूचे क्षेत्र की शांति और सुरक्षा में सहयोग मिलेगा। भारत में 1000 से अधिक जापानी कंपनियां पहले से ही मौजूद हैं। वह चाहेंगे कि व्यापार और निवेश में और वृद्धि हो। इसलिए वह अपने साथ एक विशाल व्यापार शिष्टमंडल लेकर आए हैं। उन्हें शैक्षिक क्षेत्र में आदान-प्रदान बढ़ने की भी उम्मीद है।
यह विज्ञप्ति 1730 बजे जारी की गई।