राष्ट्रपति भवन : 28.02.2013
ईरान इस्लामी गणराज्य के संसदीय शिष्टमंडल ने इस्लामी परामर्शदात्री एसेंबली के अध्यक्ष , महामहिम डॉ. अली लारिजानी के नेतृत्व में 27 फरवरी, 2013 को राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
शिष्टमंडल का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और ईरान नजदीकी पड़ोसी हैं। संपूर्ण इतिहास में दोनों देशों के लोग तथा उनकी संस्कृतियों में मेल-मिलाप रहा है। दोनों देशों के बीच बेहतरीन द्विपक्षीय संबंध, उच्च स्तरीय आदान-प्रदानों तथा विभिन्न संवाद व्यवस्थाओं के तहत नियमित बातचीत के द्वारा और भी मजबूत हुए हैं। भारत और ईरान के मजबूत द्विपक्षीय आर्थिक संबंध हैं तथा इन्हें दोनों देशों की जनता की भलाई के लिए अधिक प्रगाढ़ बनाने की जरूरत है। हमें व्यापार तथा आर्थिक रिश्तों को बढ़ावा देने तथा हम दोनों देशों और इस क्षेत्र के अंतर्गत लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मिल-जुलकर काम करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि ईरान भारत के लिए तेल का प्रमुख स्रोत है। इस समय, हमारे द्विपक्षीय व्यापार का संतुलन ईरान के पक्ष में है। भारतीय बाजार ईरानी निर्यात के लिए खुले हैं। भारत को उम्मीद है कि ईरान भारत से और अधिक सामान आयात करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और ईरान की यह जिम्मेदारी है कि वह इस क्षेत्र तथा विश्व के सामने खड़ी आतंकवाद, ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण तथा प्राकृतिक आपदाओं जैसी चुनौतियों का समाधान ढूंढें। अफगानिस्तान में शांति और स्थाईत्व इस क्षेत्र में प्रगति की कुंजी है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि अफगानिस्तान में चल रही गतिविधियों पर भारत और ईरान, सूचना तथा विचारों का नियमित आदान-प्रदान कर रहे हैं। भारत, अफगानिस्तान के पुननिर्माण और विकास में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।
ईरानी मजलिस के अध्यक्ष ने कहा कि ईरान भारत के साथ कार्यनीतिक तथा दीर्घकालीन साझीदारी की कामना करता है। भारत और ईरान का मूल एक है तथा उनका भविष्य भी एक है। दोनों देशों के बीच सहयोग का एक बड़ा क्षेत्र संभव है।
यह विज्ञप्ति 1030 बजे जारी की गई