राष्ट्रपति भवन : 08.05.2016
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (08 मई, 2016) गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर के जन्मदिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा है-
‘गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर के 155वें जन्म दिवस के अवसर पर, मैं अपने देशवासियों के साथ भारत की इस महान आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जम्न दिवस हमारे लिए उनके मानव प्रेम, निस्वार्थ सेवा और सीमा भंजक विचारों का स्मरण करने का अवसर है। गुरुदेव ने बताया कि साहित्य, इतिहास तथा संस्कृतियां मानवता के उन साझे आदर्शों का प्रतिनिधित्च करती हैं जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर जाते हैं। साझी मानवता, एक विश्व की भावना को ठाकुर ने अपने साहित्य और संगीत में स्थान दिया।
गुरुदेव ठाकुर प्रकृति के गहरे प्रशंसक थे और उनकी अनेक साहित्यिक कृतियों में प्राकृतिक जगत के सरल सौंदर्य का चित्रण किया गया है। वह मानते थे कि प्रकृति के दर्शन मंदिरों और पवित्र गं्रथों की अपेक्षा आश्चर्यों और रहस्यों में अधिक किए जा सकते हैं। गुरुदेव ठाकुर की सहऊर्जा और आनंद, वह आनंद जो दिव्य शक्ति के प्रति तथा प्रकृति के विस्तार में भाग लेते हुए तथा मानवता के कोने-कोने का अध्ययन करते हुए स्वयं को समर्पित करने में निहित था।
ठाकुर का जीवन और कार्य हमारे राष्ट्र और विश्व के लोगों के लिए असीम प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं। आइए इस दिन ठाकुर के शब्दों, ‘भारत की आत्मा ने सदैव एकता के आदर्श की घोषणा की है। एकता का आदर्श कभी किसी को, किसी नस्ल को या किसी संस्कृति को अस्वीकार नहीं करता है।’
यह विज्ञप्ति 1505बजे जारी की गई।