राष्ट्रपति भवन : 01.10.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम निम्न संदेश जारी किया है।
अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा है, ‘गांधी जयंती एक ऐसा दिन है जब हमें खुद को बापू के अहिंसा, शांति और सहिष्णुता के आदर्शों के प्रति पुन:समर्पित करना चाहिए।’
गांधीजी विशिष्ट दूरदृष्टियुक्त असाधारण क्रांतिकारी थे। गांधीजी के दुखद निधन पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘रोशनी बुझ चुकी है परंतु फिर भी यह एक हजार वर्ष तक प्रदीप्त रहेगी।’
गांधीजी द्वारा समर्थित आदर्श हमारी सामूहिक जीवंत विरासत का भाग हैं। यह विरासत ‘एक राष्ट्र’ होने के विचार के साथ गहराई से रची-बसी है। यह हमारी विविधता, हमारी बहुलवादी संस्कृति, हमारी विभिन्न भाषाओं,धर्मों और जीवन की विविध पद्धति का गौरव है। यह वह विचार था जिसने उन्हें प्रेरित किया जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रयास किया। लोकतंत्र के प्रति हमारी गहन और स्थायी प्रतिबद्धता इसी विचार से नि:स्रत हुई है। हम इन आदर्शों से निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त करते रहे हैं। हम इनके प्रति अपने अतीत के कारण नहीं बल्कि इसलिए प्रतिबद्ध रहे हैं क्योंकि ये हमारा भविष्य भी हैं।
इस अवसर पर, मैं सभी नागरिकों से महात्मा गांधी की मूल्यवान शिक्षाओं से ज्ञान प्राप्त करने तथा बापू के आदर्शों को व्यवहार में उतारने का प्रयास करने का आह्वान करता हूं। उनकी संकल्पना हमें वर्तमान की चुनौतियों के बीच आगे बढ़ने तथा एक सुदृढ़ और उभरते भारत का निर्माण करने में सक्षम बनाए।
यह विज्ञप्ति 12:40 बजे जारी की गई।