राष्ट्रपति भवन : 09.12.2013
राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के सम्मान में आयोजित स्मृति सेवा में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका प्रस्थान से पूर्व भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के वक्तव्य का पाठ:
मैं, 5 दिसम्बर 2013 को इस संसार को छोड़ कर जाने वाले डॉ. नेल्सन मंडेला के सम्मान में राष्ट्रीय स्मृति सेवा में भाग लेने भारी मन के साथ दक्षिण अफ्रीका जा रहा हूं।
मेरे साथ शिष्टमंडल में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्षा, श्रीमती सोनिया गांधी, वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री आनंद शर्मा, लोकसभा में विपक्ष की नेता, श्रीमती सुषमा स्वराज और संसद सदस्य श्री सीताराम येचुरी तथा सतीश चंद्र मिश्र तथा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
स्मृति सेवा में हमारे विभिन्न राजनीतिक वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले शिष्टमंडल की भागीदारी, डॉ. मंडेला के प्रति भारत के गहरे प्रेम और सम्मान को दर्शाती है। उन्हें हर कोई जानता था और वह हमें अपने से लगते थे। उनका जीवन पाशविक ताकत और घोर अन्याय के समक्ष मानवीय शक्ति और साहस का जीता-जागता उदाहरण था। वह उपनिवेशवाद के विरुद्ध विश्व संघर्ष का नेतृत्व करने वाली अंतिम महान विभूति थे और हमारे लिए उनके संघर्ष का विशेष महत्व है क्योंकि हम उनमें महात्मा गांधी के नेतृत्व में अपने लम्बे उपनिवेशवादी विरोधी संघर्ष का प्रतिबिम्ब देखते थे।
भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों ऐसे देश और लोग हैं जिन्होंने उपनिवेशवाद की त्रासदी और मुक्त भावना की जीत देखी है। आज, हम साझे लक्ष्य को प्राप्त करने और एक नवीन विश्व के निर्माण के अपने संकल्प के संबंध में एकजुट हैं।
मेरा शिष्टमंडल और मैं, दक्षिण अफ्रीका की सरकार और लोगों तक उस महान आत्मा- हमारे प्रिय ‘मदीबा’ के दु:खद निधन पर, भारत के हार्दिक शोक और व्यक्तिगत क्षति को संप्रेषित करने की उम्मीद रखते हैं।
यह विज्ञप्ति 2015 बजे जारी की गई।