देश की शिक्षा प्रणाली मात्रा और गुणवत्ता दोनों की मांग करती है, राष्ट्रपति ने कहा
राष्ट्रपति भवन : 25.12.2012

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उपलब्धियों के बावजूद, यह सभी जानते हैं कि हमारे देश की शिक्षा प्रणाली मात्रा और गुणवत्ता दोनों की मांग करती है। भारत को अपनी उच्चतर शिक्षा का स्तर इतना ऊंचा करना चाहिए कि हमारी शैक्षिक संस्थाएं निरपवाद रूप से विश्व के सर्वोच्च दस या कम से कम सर्वोच्च पचास स्थान पर आ जाएं। वैश्वीकृत परिवेश में भारतीय संस्थाओं को स्वयं को विश्व श्रेणी के विश्वविद्यालयों के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य तय करना चाहिए।

वह आज (25 दिसम्बर, 2012) मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद के नौवें दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि उच्चतर शिक्षा में महिलाओं की सामान्यत: पुरुषों की तुलना में कम भागीदारी है और इंजीनियरी में स्थिति और भी बदतर है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एक विधा के रूप में इंजीनियरी, महिला विद्यार्थियों को आकर्षित करेगी।

राष्ट्रपति ने, हाल ही में दिल्ली में एक युवा लड़की के विरुद्ध क्रूर हिंसा की घटना के प्रति गहरा दु:ख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध अक्सर आपराधिक हमले महिलाओं के बारे में समाज के कुछ तत्त्वों द्वारा विचारित और प्रचारित नकारात्मक धारणाओं के कारण होते हैं। इसमें बदलाव आना चाहिए। हमें अपने समाज के प्रत्येक सदस्य में महिलाओं के प्रति सर्वोच्च सम्मान की भावना पैदा करनी होगी और देश के युवा, विशेषकर मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विद्यार्थियों को इस संबंध में आगे आना चाहिए।

राष्ट्रपति ने प्रदर्शनकारियों के साथ संघर्ष में घायल दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की दु:खद मृत्यु पर शोक व्यक्त किया तथा युवाओं से अनुरोध कि कि उन्हें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विवेक को नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और हिंसा कोई समाधान नहीं है।

यह विज्ञप्ति 1350 बजे जारी की गई

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.