छठे जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम में भाग लेने वाले जनजातीय युवाओं ने राष्ट्रपति जी से भेंट की
राष्ट्रपति भवन : 28.03.2014

छठे जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम में भारत भेजे जाने वाले युवा प्रतिभागियों ने आज (28 मार्च, 2014) भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने नेहरू युवा केंद्र संगठन तथा गृह मंत्रालय को युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इससे छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार तथा झारखंड के जनजातीय युवाओं को शांति और सौहार्द का संदेश फैलाने वाले दूतों के रूप में बदलने में सहायता मिलेगी। जिन शानदार राज्यों से हमारे युवा मित्र आए हैं, उन्हें लंबे समय से उनकी विशिष्ट संस्कृति तथा विरासत के लिए जाना जाता है। उन्हें समृद्ध जैव-विविधता तथा वन एवं खनिज संपदा जैसे विपुल संसाधन विरासत में प्राप्त हुए हैं। इन सभी ने राजनीति, प्रशासन, कला, खेलकूद आदि जैसे विविध क्षेत्रों में नामचीन लोग पैदा किए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रकार के आदान-प्रदान कार्यक्रम, शहरी क्षेत्रों की जनता के लिए जनजातीय समाजों के परंपरागत ज्ञान से सीख ग्रहण करने के लिए उपयोगी मंचों का भी कार्य करेंगे। जनजातीय समाज जिस तरह से प्रकृति के साथ सौहार्द के साथ रहते हैं, उससे भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। वैश्विक संकट के इस दौर में, जब विभिन्न देश जल, वन तथा ईंधन जैसे बुनियादी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं, जनजातीय समाज पर्यावरण के लिए कोई संकट खड़ा किए बिना अपनी सादा जीवन शैली अपनाए हुए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय कल्याण की हमारी नीति का लक्ष्य मानवीय विकास के साथ ही जनजातीय समाज की समृद्ध एवं विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करना है। स्वतंत्रता के बाद, सकारात्मक नीतियों के माध्यम से, जनजातीय जनसंख्या के सशक्तीकरण के लिए संविधान में समता का सिद्धांत शामिल किया गया था। राष्ट्र के विकास कार्यक्रम में जनजातीय समूहों को सक्रिय भागीदार बनाया जाना जरूरी है। समतापूर्ण तथा सतत् मानव विकास के साथ ही जनजातीय समाजों की समृद्ध एवं विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण इसका मूलमंत्र है। हमें एक-दूसरे की विशिष्टता का आदर करना होगा तथा एक समावेशी राष्ट्र के विकास के लिए संगठित होकर आगे बढ़ते रहना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की जनसंख्या का स्वरूप बदल रहा है तथा 2025 तक दो तिहाई से अधिक भारतीय कामकाजी आयु समूह में होंगे। हमें जनसंख्या की इस बढ़त से लाभ उठाना होगा परंतु उसके लिए हमारे युवाओं को राष्ट्रीय प्रगति में भागीदारी के लिए योग्य और प्रशिक्षित होना चाहिए। उन्हें गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से तैयार करना होगा।

राष्ट्रपति ने युवाओं से आग्रह किया कि वे शांति तथा विकास के दूत बनकर अपने राज्यों में लौटें तथा अपने साथियों, संबंधियों तथा बुजुर्गों के साथ अपनी यात्रा की यादों को बांटें। उन्होंने कहा कि वे कल के युवा तथा पुनर्जाग्रत भारत के पथप्रदर्शक हैं तथा उन पर परिवर्तन लाने की जिम्मेदारी है। उन्होंने सभी को उनके भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दी तथा उम्मीद व्यक्त की कि वे सभी व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से न केवल अपना और जहां वे रहते हैं उन स्थानों का, बल्कि पूरे देश का नाम रौशन करेंगे।

यह विज्ञप्ति 1930 बजे जारी की गई।

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