भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीनों ने राष्ट्रपति जी से मुलाकात की
राष्ट्रपति भवन : 06.08.2013

भारतीय वन सेवा के 2012 बैच के 79 परिवीक्षाधीनों के समूह ने आज (6 अगस्त, 2013) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने परिवीक्षाधीनों को एक अत्यंत कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए बधाई दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरण के क्षरण, वैश्विक तापन, पारिस्थितकीय असंतुलन जैसी समस्याओं पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जहां हमें अंतरराष्ट्रीय चर्चाओं में अपना दृष्टिकोण रखना होगा, वहीं हम खुद अपने बचाव के लिए प्रयास शुरू करने के कार्य की उपेक्षा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि हम उत्तराखंड की आपदा से यह सीख ले सकते हैं।

राष्ट्रपति जी ने परिवीक्षाधीनों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शब्दों को याद दिलाया, जिन्होंने कहा था कि धरती मां ने हर आदमी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त उपलब्ध कराया है परंतु हर आदमी के लालच के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि परिवीक्षाधीन अपनी सेवा के दौरान जो वैज्ञानिक प्रवृत्ति, ज्ञान तथा कौशल प्राप्त करेंगे, उससे देश समग्र रूप से लाभान्वित होगा तथा हम ऐसे विश्व का निर्माण करने में सफल होंगे, जैसा हम देखना चाहते हैं।

ये परिवीक्षाधीन वनों, वन्य प्राणियों तथा पर्यावरण के सतत् प्रबंधन तथा प्रशासन के विभिन्न पहलुओं पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। ये परिवीक्षाधीन इस समय संसद भवन परिसर में, संसदीय अध्ययन ब्यूरो द्वारा संसदीय प्रक्रिया और पद्धति पर 5 से 7 अगस्त, 2013 के दौरान आयेजित पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए दिल्ली में हैं।

इन 79 परिवीक्षाधीनों में से 2 भूटान के विदेशी प्रशिक्षणार्थी हैं तथा 22 महिला अधिकारी हैं। ये परिवीक्षाधीन वानिकी, इंजीनियरी, कृषि, जीवन विज्ञान जैसी विभिन्न शैक्षणिक पृष्ठभूमियों से हैं और इनमें से चार पी-एच.डी. हैं।

इस अवसर पर डॉ. वी. राजगोपालन, सचिव, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, श्री के जूडे शेखर, वन महानिदेशक तथा विशेष सचिव, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, श्री आर.के. गोयल, निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून भी उपस्थित थे।

यह विज्ञप्ति 1315 बजे जारी की गई।

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