भारतीय रक्षा लेखा सेवा के परिवीक्षाधीनों ने राष्ट्रपति से भेंट की
राष्ट्रपति भवन : 10.11.2015

भारतीय रक्षा लेखा सेवा के परिवीक्षाधीनों (2014 व 2015 बैच) के एक समूह ने आज (10नवम्बर, 2015) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने सिविल सेवा परीक्षा जिसे एक सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षा माना जाता है, उत्तीर्ण करने पर सभी युवा अधिकारियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने सरकारी सेवा में युवा परिवीक्षाधीनों का स्वागत किया और उन्हें विश्वास दिलाया कि उनके भावी लम्बी जीवनवृत्ति में चुनौतियों और अवसरों की कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सरकारी जीवनवृत्ति का आकार, गुंजाइश तथा प्रत्यक्ष परिचय और दायित्व, वह भी अपेक्षाकृत कम आयु में,अद्वितीय अनुभव और अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान में 24 सप्ताह के पेशेवर प्रशिक्षण और उसके बाद अपनी सेवा अकादमी में 28सप्ताह की कार्यावधि से वे विभाग की जटिलताओं और बारीकियों से परिचित हो जाएंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि जिस सेवा में उन्होंने पदभार संभाला है वह रक्षा लेखा विभाग की आधार है। अनेक वर्ष पहले स्थापित इस विभाग को 1951तक सैन्य लेखा विभाग के रूप में जाना जाता था। विभाग सेना संबंधित वित्त प्रदान करता है तथा मंत्रालय में इसे वित्तीय उपयुक्तता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया है। यह सैन्य बलों तथा आयुध निर्माणियों, तट रक्षक और सीमावर्ती सड़क जैसे संबद्ध प्रतिष्ठानों को भुगतान व कार्यों, पेंशन प्रबंधन, आंतरिक लेखापरीक्षा,बजट प्रबंधन तथा वित्तीय परामर्श कार्य का प्रबंधन करता है। उन्होंने कहा कि विभाग पर सभी लेन-देन की वित्तीय उपयुक्तता, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा की गारंटी का महत्वपूर्ण दायित्व है। रक्षा परिव्यय में वृद्धि के लिए आवश्यक है कि ये सभी वित्तीय प्रबंधन की नवीनतम तकनीकों से परिचित रहें तथा समयबद्ध और कुशल तरीकों से सदृढ़ वित्तीय सेवा प्रदान करें।

यह विज्ञप्ति 16:25 बजे जारी की गई।

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