राष्ट्रपति भवन : 22.04.2014
भारतीय रेल इंजीनियर सेवा के 2011 बैच के 68 परिवीक्षाधीनों के एक समूह ने आज (22 अप्रैल 2014) भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से राष्ट्रपति भवन में भेंट की।
परिवीक्षाधीनों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने उन्हें अत्यंत कठिन परिक्षा में सफलता के लिए उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि सिविल इंजीनियर ने न केवल भारतीय रेल के रखरखाव और उन्नयन में बल्कि विश्व के एक विशालतम रेल नेटवर्क के नए शिखर पर ले जाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ संस्थानों और संगठनों को भारतीय रेल की तरह वास्तव में अखिल भारतीय कहा जा सकता है। प्रतिदिन लाखों यात्री विभिन्न भाषाएं बोलते हुए, विभिन्न प्रकार के आहार ग्रहण करते हुए, अनेक प्रकार का पहनावा धारण करते हुए तथा विभिन्न पंथों को मानते हुए, आवागमन के लिए एक साधन का प्रयोग करते हैं। वे अपनी व्यक्तिगत पहचान छोड़कर भारतीय रेल के यात्रियों के तौर पर एक जैसी समान पहचान अपना लेते हैं। इस प्रकार, भारतीय रेल इस वृहद देश के एक समेकनकर्ता और संगठनकर्ता के रूप में प्रमुख भूमिका निभाती है।
भारतीय रेल इंजीनियर सेवा परिवीक्षाधीन वर्तमान में भारतीय रेल सिविल इंजीनियरी संस्थान, पुणे में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
यह विज्ञप्ति 1730 बजे जारी की गई।