राष्ट्रपति भवन : 14.03.2015
भारतीय राजस्व सेवा के 68वें बैच के 182 भारतीय राजस्व सेवा परिवीक्षाधीनों, भूटान सरकार के दो अधिकारियों सहित, ने कल (13 मार्च, 2015) भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इन परिवीक्षाधीनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 1970की शुरुआत से 2012 में राष्ट्रपति के पद का कार्यभार ग्रहण करने तक, वह इस विभाग से लंबे समय तक जुड़े रहे हैं। उन्होंने इन वर्षों के दौरान विभाग को बढ़ते हुए तथा एक प्रवर्तन संगठन के साथ-साथ ऐसे संगठन के रूप में बदलते देखा है जो बेहतर सेवा स्तर प्रदान करते हुए करदाता का ख्याल रखता है। राष्ट्रपति ने कहा कि 2015-16 में 7.98लाख करोड़ रुपए की तुलना में 1860-61 में प्रत्यक्ष कर संग्रह 30 लाख रुपए था, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष कर के बढ़ते हिस्से तथा ढांचागत बदलाव की ओर इंगित करता है।
राष्ट्रपति ने हर एक अधिकारी का आह्वान किया कि वे अपने विचारों, कल्पना तथा युक्तियों को देश की सेवा में प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि किसी भी शासन प्रणाली के लिए लोकसेवकों की गुणवत्ता अत्यावश्यक है। अच्छी लोक नीति अनिवार्य है परंतु इसका कार्यान्वयन उससे भी महत्त्वपूर्ण है। लोक सेवकों के पास न केवल अपेक्षित कौशल और ज्ञान बल्कि उचित मूल्य भी होने चाहिए, जिसमें ईमानदारी, जन सेवा की भावना तथा इससे कहीं पहले भारत के संविधान में निहित आदर्शों और दर्शन के प्रति प्रतिबद्धता शामिल है। देश में उच्च सिविल सेवाओं को आदर्श बनना चाहिए। मेधावी युवा अधिकारियों को अपनी योग्यता साबित करते हुए उनमें दर्शाए गए भरोसे और विश्वास पर खरा उतरना होगा।
यह विज्ञप्ति 13:45 बजे जारी की गई।