राष्ट्रपति भवन : 21.03.2017
भारतीय राजस्व सेवा के 70वें बैच के अधिकारी प्रशिक्षुओं के एक समूह ने आज (21 मार्च, 2017) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इस अवसर पर राष्ट्रपति से सभी अधिकारी प्रशिक्षुओं का राष्ट्रपति भवन में स्वागत किया। उन्होंने विशेष रूप से भूटान की राज सरकार के दो अधिकारियों का स्वागत किया जिन्होंने एनएडीटी, नागपुर में अधिकारी प्रशिक्षुओं के साथ प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस बैच के अधिकारी प्रशिक्षु भारत के सभी भागों की विविध सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से आए हैं। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा में शामिल होकर एक चुनौतिपूर्ण जीवनवृत्त आरंभ की है। कोई अन्य सेवा सिविल सेवा की तुलना में युवा कंधों पर इतना भारी दायित्व नहीं डालती है। आयकर विभाग का सूत्र वाक्य ‘कोष मूलो दंड’ जिसका अर्थ है राजस्व प्रशासन का मेरूदंड है। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में आय संग्रहण के तरीके को श्रेष्ठ प्रकार से वर्णित किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कर संग्रहण का कर्तव्य राष्ट्र का एक संप्रभुतापूर्ण कार्य है। राजस्व संग्रहण के कोष को अत्यंत ध्यानपूर्वक रख-रखाव करना होता है क्योंकि यह विकास और कल्याण की सभी योजनाओं का कार्यान्वयन करता है। उन्होंने कहा कि वह आरंभ में राज्य मंत्री के रूप में 1973-1977, उसके बाद 1982-1984 से वित्त मंत्री और इसके बाद पुनः 2009-2012 से आयकर विभाग को बहुत नजदीकी से देखते आए हैं। प्रथम वित्त मंत्री श्री षण्मुगम शेट्टी द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट में 171.15 करोड़ रुपये का कुल राजस्व संग्रहण था। वर्षों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था का बहुत अधिक विस्तार हुआ है और इसने गति पकड़ी है। भारत में आयकर भारत के कुल कर राजस्व का एक प्रमुख भाग है। प्रत्यक्ष कर जिसका 2000-01 में भारत के समग्र कर संग्रहण में 36 प्रतिशत योगदान देता था वह 2015-16 में 50 प्रतिशत कर राजस्व में बदल गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि सिविल सेवकों की भूमिका विनियामकों और प्रशासकों से बदलकर सहायक की हो गई है। उन्होंने कहा कि परिवीक्षा अधिकारी भावी नीति निर्माता बन गए हैं। उन्होंने उनके भावी प्रयासों में सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं।
यह विज्ञप्ति 2000 बजे जारी की गई।