राष्ट्रपति भवन : 19.02.2014
भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा सेवा के 20 तथा रॉयल ऑडिट अथॉरिटी ऑफ भूटान के 2 अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों ने आज (19 फरवरी, 2014) राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इन अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने एक ऐसे विभाग में नियुक्ति पाई है, जिसका इतिहास 150 वर्ष से भी अधिक पुराना है। 1857 में सामान्य लेखा विभाग की स्थापना हुई थी और कई दशकों के बाद, इस विभाग का विस्तार हुआ है और इसने देश में शासन के ढांचे में अपनी स्थिति मजबूत की है।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रतिनिधत्वात्मक लोकतंत्र में शासन की संस्थाएं तथा इसकी लोक सेवा का अस्तित्व जनता के हितों के लिए कार्य करने के लिए है। हमारे संविधान के तहत शक्तियों के बंटवारे में संसद को कानून बनाने तथा नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन वाली एजेंसी अर्थात् कार्यपालिका को उनके कार्यों के लिए उत्तरदायी बनाने का दायित्व सौंपा गया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक एक ओर कार्यपालिका तथा दूसरी ओर संसद और जनता के बीच महत्त्वपूर्ण कड़ी का काम करता है। यह कार्यपालिका के कार्यों का नियमित, स्वतंत्र मूल्यांकन तथा समीक्षा करता है और इसके द्वारा सरकार के कार्यों को विश्वसनीयता प्रदान करता है। उन्होंने परिवीक्षाधीनों से कहा कि उनका संगठन सरकार के विवेक का रक्षक है और उनका कार्य सरकार के प्रहरी के रूप में सेवा करना है। उन्होंने कहा कि भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा सेवा के अधिकारी धन तथा वित्त के बेहतर प्रबंधन में काफी योगदान दे सकते हैं।
ये अधिकारी प्रशिक्षणार्थी इस समय राष्ट्रीय लेखापरीक्षा एवं लेखा अकादमी, शिमला में 92 सप्ताह का व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
यह विज्ञप्ति 1720 बजे जारी की गई।