भारतीय डाक सेवा तथा भारतीय डाक एवं संचार लेखा और वित्त सेवा के परिवीक्षाधीनों ने राष्ट्रपति जी से भेंट की।
राष्ट्रपति भवन : 16.04.2014

भारतीय डाक सेवा के 2010-2013 बैचों तथा भारतीय डाक एवं संचार लेखा और वित्त सेवा के 2011-2013 के बैचों के परिवीक्षाधीनों ने आज (16 अप्रैल, 2014) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।

इन परिवीक्षाधीनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वे एक बड़े बदलाव तथा हमारे सरकारी तंत्र से नागरिकों को बढ़ती अपेक्षाओं के दौर में सरकारी सेवा में आ रहे हैं। आज का परिवेश विभिन्न तरह की चुनौतियों के साथ ही अवसर भी प्रदान कर रहा है। अब राज्य का उत्तरदायित्व केवल कानून और व्यवस्था का रखरखाव अथवा न्याय प्रदान करना नहीं है। आज इसकी भूमिका कहीं अधिक सक्रियात्मक और कहीं अधिक समावेशी हो गई है और इसे अब विकास को समता के साथ बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि बदलाव के प्रतिमान अब बदल चुके हैं। आज विकास का दर्शन ऐसी हकदारी के माध्यम से लोगों का सशक्तीकरण करना है जिनके पीछे कानूनी गारंटी हो जैसे कि सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार आदि।

राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे राज्य की गतिविधियों की प्रकृति और क्षेत्र बदलता है प्रशासन की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। इसलिए सिविल सेवकों के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती सरकार की नई भूमिका के साथ सामंजस्य बिठाने की है। उन्होंने अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों से आग्रह किया कि वे उस बदलाव के एजेंट बनें जो वे अपने समाज और देश में देखना चाहते हैं।

यह विज्ञप्ति 1525 बजे जारी की गई।

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