राष्ट्रपति भवन : 17.02.2014
भारतीय आयुधनिर्माणी सेवा के 2013 (II) बैच के 41 परिवीक्षाधीनों के समूह ने आज (17 फरवरी 2014) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय आयुधनिर्माणी सेवा के अधिकारियों से जिन दायित्वों को पूरा करने की अपेक्षा की जाती है वह भारी जिम्मेदारी की हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें कभी यह नहीं भूलना चाहिए कि हर एक चूकने वाली गोली, अथवा हथियार से एक सैनिक की जान खतरे में पड़ जाती है, जो देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए अपने दायित्व पूर्ण कर रहा है। इसलिए यह केवल हथियार और गोलाबारूद की बात नहीं है, यह गुणवत्तायुक्त उत्पाद उपलब्ध कराने, समय पर आपूर्ति करने तथा हमारी रक्षा सेनाओं, अर्धसैनिक बलों तथा पुलिस बलों के हाथ मजबूत करने की बात है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकारियों को निरंतर हथियार प्रणालियों को विकसित करने, उनका उत्पादन करने तथा उन्हें उन्नत करने में अपनी दक्षता को उच्चीकृत करने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कन्फूशियस को उद्धृत करते हुए कहा, ‘जो मैं सुनता हूं, भूल जाता हूं। जो मैं देखता हूं, वह मुझे याद रहता है। जो मैं करता हूं वह मेरी समझ में आ जाता है’।
उन्होंने परिवीक्षाधीन अधिकारियों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी क्योंकि उनकी सफलता पर ही हमारी रक्षा क्षमता निर्भर करती है।
ये परिवीक्षाधीन, जो राष्ट्रीय रक्षा उत्पादन अकादमी, नागपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, इस समय संसदीय पद्धतियों तथा प्रक्रियाओं के तीन दिवसीय प्रशिक्षण में लोक सभा सचिवालय, संसदीय अध्ययन एवं प्रशिक्षण ब्यूरो में भाग ले रहे हैं।
यह विज्ञप्ति 1525 बजे जारी की गई।