भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने जी.बी. पंत अस्पताल पर स्मारक डाक टिकट जारी किया
राष्ट्रपति भवन : 30.04.2014

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (30 अप्रैल 2014) राष्ट्रपति भवन ऑडिटोरियम में गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल पर स्मारक डाक टिकट जारी किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल को इसकी स्मारक जयंती समारोहों पर हार्दिक बधाई दी। पंडित गोविंद बल्लभ पंत को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह एक महान दूरद्रष्टा नेता तथा भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी व्यक्तियों में से थे। उन्होंने कहा कि वह असाधारण विद्वान तथा शानदार सांसद थे। केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में उनका विशिष्ट योगदान भाषागत आधार पर राज्यों का पुनर्गठन था।

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वस्थ जनता अपनी शिक्षा, खाद्य सुरक्षा तथा रोजगार के अवसरों में सुधार के कार्यक्रमों एवं पहलों के प्रति अधिक जागरूक हो सकती है। मजबूत तथा स्वस्थ जनता को राष्ट्रीय उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आसानी से प्रेरित और निर्देशित किया जा सकता है। बीमारी तथा बुराइयों से मुक्त समाज के पास स्वाभाविक रूप से प्रगति और विकास के बेहतर अवसर होते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि एक सफल स्वास्थ्य प्रणाली अपनी गुणवत्ता, उपलब्धता तथा वहनीयता में व्यापक होनी चाहिए। भारत में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार सदैव एक प्राथमिकता रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत स्वास्थ्य सेवा को उपकेंद्रों तथा प्राथमिक और स्वास्थ्य केंद्रों के नेटवर्क के जरिए ग्रामीण जनता के दरवाजे तक ले जाने के लिए की गई थी। हॉल ही के वर्षों में, बेहतर अवसंरचना, प्रशिक्षण, मानवशक्ति, कारगर दवा तथा आधुनिक उपकरणों ने स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धि में सुधार किया है तथा इस मिशन को शहरी समुदायों तक भी विस्तार करने को उचित ठहराया है। उन्होंने कहा कि हमारी जनता से पोलियो के उन्मूलन में भारत की जीत, कालाजार खत्म करने में हमारी सफलता तथा मलेरिया के मामलों में पचास प्रतिशत की कमी ने हमें गर्व करने का मौका दिया है। उन्होंने कहा कि तथापि, इस प्रकार की उन्नत स्वास्थ्य सेवा प्राय: इतनी खर्चीली होती है जो आम आदमी की पहुंच से बाहर होती है। जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना काफी हद तक कारगर रही है। परंतु प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक स्वास्थ्य सेवा के लिए एक व्यापक सुविधा की उपलब्धता हमारी जनता को बेहतर ‘स्वास्थ्य सुरक्षा’ प्रदान करने में बहुत सहायक रहेगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले वर्षों के दौरान सभी लोगों द्वारा किए गए मजबूत प्रयासों से स्वास्थ्य सेवा के कुछ क्षेत्रों में चुपके से क्रांति आई है। टेलीमेडिसिन परियोजना, जिसमें सेटेलाइट तकनीक का प्रयोग होता है, ने दूरदराज के स्वास्थ्य केंद्रों को सुपर स्पेशियलिटीअस्पतालों से जोड़ दिया है जिससे सुदुरवर्ती समुदायों तक विशेषज्ञ ज्ञान तथा सहायता पहुंची है जो कि पहले इस तरह की सेवा की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। अपने स्वास्थ्य सेक्टर को और आगे आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिए हमें नवान्वेषण, स्वदेशी तकनीकों तथा मिश्रणों के विकास को प्रोत्साहन देना होगा जो कि हमारी जनता और जलवायु के लिए बेहतर है। हमें स्थानीय निर्माताओं को प्रोत्साहन भी देना होगा तथा अपनी बीमारी निगरानी व्यवस्था का विस्तार करना होगा। इन पूर्व आवश्यकताओं को, अभी और आने वाले वर्षों के दौरान, उचित प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने कहा कि वह बहुत से स्थानों पर न्यूक्लियर मेडिसिन उन्नत ऑन्कोलॉजी, न्यूरोलॉजी, कॉर्डियोलॉजी तथा नेफ्रोलॉजी के और अधिक सुपर स्पेशियलिटी केंद्र देखना चाहेंगे जिससे अधिकतम पहुंच प्राप्त हो। हम ऐसी सुविधाएं सृजित कर सकते हैं जो कि विश्व में सर्वोत्तम सुविधाओं के बराबर या उनसे बेहतर हों तथा हम उनमें काम करने के लिए सर्वोत्तम प्रतिभा को आकर्षित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इसमें कोई संदेह नहीं कि समुचित अवसंरचना तथा अवसर मिलने पर हमारे मेडिकल कॉलेज तथा अनुसंधान केंद्र मौजूदा चिकित्सा चनौतियों के ऐसे संरचनात्मक तथा नूतन समाधान प्रस्तुत करने में सफल होंगे जो हमारे देश का नाम बहुत रोशन करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य सेवा पर सरकारी खर्च (सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 प्रतिशत) बहुत से विकसित देशों से बहुत कम है। स्वास्थ्य सेवा तथा चिकित्सा शिक्षा अवसंरचना के विस्तार के हमारे प्रयास निरंतर तथा सघन होने चाहिएं। अखिल भारतीय अनुसंधान संस्थान के मॉडल पर छह नए संस्थानों की शुरुआत सही दिशा में अच्छा कदम है। हमारे कॉलेजों को निरंतर अपनी पाठ्यचर्या अद्यतन करना चाहिए तथा अपनी अनुसंधान गतिविधियों की लगातार समीक्षा करनी चाहिए। जहां तक सक्षम स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की पर्याप्त संख्या का संबंध है बारहवीं योजना में एक लाख लोगों पर 354 चिकित्सा पेशेवरों का औसत लक्ष्य किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करना होगा।

राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि चिकित्सा व्यवस्था एक सबसे महान पेशों में से है जो कि सदाचार तथा करुणा से जुड़ा है। इसमें ज्ञान तथा मानवीय जज्बे की जरूरत होती है। बीमारों का उपचार और कमजोरों की सेवा मानवीय हाथों से किए जाने वाले ईश्वरीय कार्य माने जाते हैं। चिकित्सा तथा नर्स, जो उनके पास उम्मीद और विश्वास से आते हैं उन सबका तथा मरीजों और उनकी सुरक्षा करने वाले विश्वास प्राप्त करते हैं। इसलिए मेडिकल कॉलेजों पर अपने विद्यार्थियों को ऐसी जागरूक करने तथा इसका समावेश करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जी बी पंत अस्तपाल की विस्तार योजना में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा की वर्तमान तथा भावी मांगों का ध्यान रखा गया है। इस तरह बढ़ी हुई सुविधाएं अकादमिक तथा सेवा के स्तर में सुधार में योगदान देंगी तथा वे इन प्रयासों को सफल होने तथा उनको साकार रूप लेते देखना चाहेंगे।

इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्त्तियों मे दिल्ली के उपराज्यपाल,श्री नजीबजंग, सचिव, डाक विभाग, श्रीमती पी गोपीनाथ, तथा मुख्य सचिव, दिल्ली श्री संजय कुमार श्रीवास्तव शामिल थे।

यह विज्ञप्ति 1640 बजे जारी की गई।

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