भारत के राष्ट्रपति ने ‘यूनिकी’ पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त की
राष्ट्रपति भवन : 03.07.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (03 जुलाई 2015) हैदराबाद में ‘यूनिकी’ पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त की। यह पुस्तक महाराष्ट्र के राज्यपाल, श्री च. विद्यासागर राव द्वारा लिखी गई है। राष्ट्रपति ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री के. चंद्रशेखर राव जिन्होंने इसका औपचारिक विमोचन किया था,से यह पुस्तक प्राप्त की।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों राज्यों के लोगों से सौहार्दपूर्ण ढंग से कार्य करने का आग्रह किया ताकि देश के लोगों की सतत विकास और बेहतरी सुनिश्चित हो सके तथा राष्ट्रों के समूह में इसे उपयुक्त स्थान प्राप्त करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि हम सभी भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि हम अपने मित्र तो चुन सकते हैं परंतु पड़ोसी नहीं चुन सकते। इसलिए यह हमें निर्णय करना होगा कि हमें अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्द और शांति से रहना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें श्री विद्यासागर राव द्वारा लिखित पुस्तक ‘यूनिकी’की प्रथम प्रति प्राप्त करके प्रसन्नता हुई है। उन्होंने श्री राव को अपने जीवन पर लेखों और विचारों तथा अनुभवों के इस उपयोगी संकलन के प्रकाशन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि ‘यूनिकी’ शीर्षक जिसका अर्थ अस्तित्व है, इस पुस्तक में लिखे गए मुद्दों और घटनाओं का एक दार्शनिक नजरिया प्रस्तुत करती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वह श्री राव को उनके शानदार संसदीय जीवन के आरंभिक दिनों तथा जब उन्होंने श्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में गृह, उद्योग और वाणिज्य राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया था, से जानते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले श्री राव 15 वर्ष तक आंध्र प्रदेश विधान सभा में अपने दल के नेता सदन रहे थे। वह आंध्र प्रदेश विधान सभा में एक गैर सरकारी सदस्य के बिल को प्रस्तुत करने में सफल हुए जिसका उद्देश्य बहुविवाह के जिम्मेदार लिए लोगों को कठोर सजा देना था।

यह विज्ञप्ति1540 बजे जारी की गई।

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