राष्ट्रपति भवन : 01.07.2014
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (01 जुलाई 2014) विज्ञान भवन में एक समारोह में कारीगरों और बुनकरों को राष्ट्रीय पुरस्कार, शिल्प गुरु पुरस्कार तथा संत कबीर पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा भारतीय जीवनशैली के आकर्षक पहलू हैं। उनकी व्यापकता हमारे देश की विविधता तथा असीम रचनात्मकता का प्रतीक है। इस सेक्टर ने महिलाओं, युवाओं तथा विकलांगों को सशक्त करने में बहुत योगदान किया है। बुनकरों और कारीगरों का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों का है। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प तथा हथकरघा सेक्टर न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों को कम निवेश पर आय के अवसर प्रदान करता है बल्कि कृषि पैदावार में कमी के दौरान अतिरिक्त आय भी मुहैया करवाई है। इस सेक्टर में मजबूती आने से पलायन रुक सकता है तथा पारंपरिक आर्थिक संबंधों को बनाए रखने में सहायता मिलती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि फिर भी इस बात को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि अपने व्यापक उत्पादन आधार के बावजूद इस सेक्टर का विकास अवरुद्ध हुआ है। इसे ऋण तक अपार्याप्त पहुंच, बिचौलियों पर निर्भरता, कच्चे माल की अपर्याप्त उपलबधता, अप्रचलित प्रौद्योगिकी तथा बाजार तक सीमित पहुंच के कारण यह नुकसान हुआ है। इस सेक्टर के उत्पादों को सस्ते आयात तथा मशीन निर्मित विकल्पों से प्रतिस्पर्धा के कारण खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इन पहलुओं पर तत्काल, व्यवस्थित तथा व्यापक तौर पर ध्यान देना जरूरी है और हमें क्षमता, कौशल, डिजाइन तथा अवसरंरचना के विकास पर ध्यान देना चाहिए।
यह विज्ञप्ति 1330 बजे जारी की गई।