राष्ट्रपति भवन : 09.11.2016
भारत के राष्ट्रपति ने आज (09 नवंबर, 2016) राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में श्री राम नाईक, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा मूल रूप से मराठी में लिखित पुस्तक चरैवति-चरैवति का हिंदी, अग्रेेंजी, उर्दू और गुजराती में अनूदित रूपांतरण प्राप्त किया। राष्ट्रपति ने ये प्रतियां उपराष्ट्रपति, श्री मोहम्मद हामिद अंसारी से प्राप्त की जिन्होंने औपचारिक रूप से उनका विमोचन किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वे पुस्तक के शीर्षक चरैवति-चरैवति से चकित रह गए जिसका अर्थ है चलते रहो/आगे बढ़ते रहो। शीर्षक भावपूर्ण और दार्शनिक दोनों ही है। निरंतर परिवर्तन की हमारी प्राचीन परंपरा से लेकर बुद्ध का चरैवति संबंधी दर्शन, गुरुदेव का एकला चलो तक प्रत्येक के जीवन में सतत और निरंतर परिवर्तन का दर्शन प्रतिबिंबित होता है क्योंकि रुक जाना मृत्यु है और आगे चलते रहना जीवन है।
राष्ट्रपति ने कहा कि श्री राम नाईक का जीवन अद्वितीय है। उन्होंने श्री नाईक को अलग-अलग क्षमताओं में जाना है। उन्होंने प्रत्येक संसद सत्र के आरंभ और अंत में ‘जण गण मन’ और ‘वंदे मातरम्’ को गाना आरंभ करने में प्रमुख भूमिका निभाई। इससे उनके मूल विचार प्रतिबिंबित हुए। उन्होंने कहा कि श्री नाईक हमेशा नए और नवीन उपाय करने के संबंध में सोचते हैं जिसकी झलक जो कि उत्तर प्रदेश के गवर्नर के रूप में उनके द्वारा भेजी गई रिपोर्टों में भी दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि पुस्तक में पुस्तक में जीवन के बारे में बताने के लिए वे श्री नाईक के अभारी हैं। यह एक संघर्षशील आत्मा की कथा थी जो अनेक लोगों को उनके जीवन की विषम परिस्थितियों से उपर उठने के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने श्री नाईक को देश की सेवा में और अधिक रचनात्मक वर्षों के लिए शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर अन्य गणमान्य व्यक्तियों में श्रीमती सुमित्रा महाजन, लोकसभा स्पीकर, श्री एम. वैंकया नायडू, केंद्रीय मंत्री, श्री शरद पवार, सांसद (राज्यसभा) उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति सहित इन सभी गणमान्य व्यक्तियों ने श्री राम नाईक की एक व्यक्ति के रूप में, कैंसर के विरुद्ध उनकी सफलतापूर्ण लड़ाई और सार्वजनिक जीवन में लंबे वर्षों और उपलब्धियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
यह विज्ञप्ति 1630 बजे जारी की गई।