राष्ट्रपति भवन : 16.12.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (16 दिसम्बर 2013) राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार तथा पेंटिंग प्रतियोगिता पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति जी ने कहा कि अमरीका, चीन तथा रूस के बाद भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। तेज औद्योगीकरण, बढ़ते शहरीकरण तथा उभरते हुए उपभोक्ता समाज के कारण ऊर्जा की मांग में काफी वृद्धि हुई है। सीमित आपूर्ति की समस्या के माहौल में जनता की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के मद्देनजर सतत् आर्थिक प्रगति के सामने एक भारी चुनौती उपस्थित हुई है। उन्होंने कहा कि इस बढ़ती समस्या का सामना करने की एक कारगर कार्ययोजना के रूप में बेहतर ऊर्जा दक्षता के माध्यम से सकल घरेलू उत्पाद के समक्ष ऊर्जा की मांग पर नियंत्रण करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि समावेशी प्रगति तथा विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संसाधन उपयोग दक्षता तथा संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जिस तरह से हम अपने दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं उसको देखते हुए इनको उच्चतम प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऊर्जा संरक्षण में महंगी आयातित ऊर्जा के विकल्प के रूप में सस्ती ऊर्जा का उपयोग भी शामिल है। इससे हमारे विदेशी मुद्रा के व्यापार में कमी आएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऊर्जा संरक्षण एक ऐसी विकासात्मक जरूरत है जिसके बहुत से सकारात्मक परिणाम हैं।
इस अवसर पर श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विद्युत राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री पी.के.सिन्हा, सचिव, विद्युत मंत्रालय तथा डॉ अजय माथुर, महानिदेशक, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो भी उपस्थित थे
यह विज्ञप्ति 1900 बजे जारी की गई।