राष्ट्रपति भवन : 24.10.2016
भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (24 अक्तूबर, 2016) नई दिल्ली में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित एक 10 दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव ‘‘राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव’’ के समापन समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के पास कला और संस्कृति की एक समृद्ध और अद्वितीय विरासत है जिसमें शास्त्रीय संगीत, पारंपरिक और आदिवासी संगीत और नृत्य, आधुनिक मिला-जुला संगीत और वाद्य संगीत निहित हैं। संगीत, ललित कला, राग और रास हमारे सांस्कृतिक जीवन का एक अंतरंग हिस्सा हैं। इन अवयवों ने हमारे आध्यात्मिक कायाकल्प में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। भिन्न-भिन्न लोक नृत्यों सहित भारतीय पारंपरिक कला और संस्कृति के संयुक्त प्रदर्शन ने राष्ट्रीय दृष्टिकोणः विविध सांस्कृतिक परंपरा से एक बहुत महत्वपूर्ण उद्देश्य हासिल किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कला और संस्कृति केवल देश को एक साथ नहीं बांधती बल्कि सांस्कृतिक एकरूपता और राष्ट्रीय एकता को भी बढ़ाती है। इस उत्सव ने हमारी सांस्कृतिक परंपरा के प्रत्येक पहलू के प्रतिनिधित्व के लिए और पूरे देश को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है। यह ‘अनेकता में एकता’ के आदर्श को कार्यरूप में परिणत करता है। उन्होंने महोत्सव से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को इसके सफल आयोजन के लिए मुबारकबाद दी ।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यों में डॉ. महेश शर्मा, संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और श्री एन.के.सिन्हा, सचिव, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1915 बजे जारी की गई।