राष्ट्रपति भवन : 05.04.2016
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (05 अप्रैल, 2016) राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार 2014 प्रदान किए।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश में खनिजों की उपलब्धता और प्रयोग उसकी अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करने वाला एक कारक रहा है। राष्ट्र निर्माण के लिए इन प्राकृतिक संसाधनों का अन्वेषण, निष्कर्षण, परिष्करण संसाधन करना होगा। इसी प्रकार हमें यह समझना होगा कि मानव अस्तित्व पर्यावरणीय रूप से सतत खनिज प्रयोग पर ही निर्भर है। हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग के हमारे प्रयास में प्राकृतिक खतरों और मानव जनित आपदाओं की जानकारी शामिल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें जानकर प्रसन्नता हुई है कि देश के भूवैज्ञानिक इन चुनौतियों का सामना करने के लिए परिश्रम कर रहे हैं। पुरस्कृत व्यक्तियों के विविध क्षेत्र के कार्य देश के भूवैज्ञानिक विकास के इस सहज विस्तार का प्रमाण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश के खनिज संसाधनों के अन्वेषण के लिए और अधिक सावधानी के साथ और बल देने की आवश्यकता है। भूतल खनिज भंडारों की खोज अंतिम सीमा तक पहुंच गई है इसलिए देश के भूवैज्ञानिक गहराई में छिपे हुए खनिज संसाधनों को खोजने की कठिन चुनौती का सामना कर रहे हैं। अपतटीय खनिज संसाधनों के अन्वेषण पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इनमें समाज की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने की अपार क्षमता है। इसी प्रकार राष्ट्र की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए अंतरिक्ष और सूचना प्रौद्योगिकी मिशनों में सहयोग के लिए कार्यनीतिक और विशिष्ट भूतत्वों को खोजना भी आवश्यक है। यद्यपि इन सबके लिए पर्यावरणीय सततता की चिंता को ध्यान में रखना होगा।
राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कारों को पहले राष्ट्रीय खनिज पुरस्कार के रूप में जाना जाता था जिन्हें मौलिक और अनुप्रयुक्त भूविज्ञान तथा खनन और संबद्ध क्षेत्रों में आसाधारण उपलब्धियों और उल्लेखनीय योगदान के लिए व्यक्तियों और वैज्ञानिकों दलों को सम्मनित करने के लिए खान मंत्रालय द्वारा आरंभ किया गया था।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यों में केन्द्रीय इस्पात और खान मंत्री, श्री नरेंद्र सिंह तोमर तथा इस्पात और खान राज्यमंत्री श्री विष्णु देव साई उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई।