भारत के राष्ट्रपति ने पश्चिम भारत अधिवक्ता एसोसिएशन की 150वीं वर्षगांठ का उद्घाटन किया
राष्ट्रपति भवन : 08.02.2014

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (08 फरवरी, 2014) मुंबई में पश्चिम भारत अधिवक्ता एसोसिएशन की 150वीं वर्षगांठ का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि अधिवक्ताओं का कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी को न्याय से वंचित ना किया जाए और उन्हें नागरिकों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले सामान्य जनता के सैनिकों के रूप में कार्य करना चाहिए। इसके अलावा उन्हें, संविधान की सर्वोच्चता को कायम रखने का निरंतर प्रयास करना चाहिए। ऐसा तभी किया जा सकता है जब न्यायपालिका पारदर्शी, निष्पक्ष हो तथा तेजी से से न्याय प्रदान करे।

राष्ट्रपति ने कहा कि बार एसोसिएशन के सक्रिय सहयोग से ही न्याय प्रदान करने में विलंब को दूर किया जा सकता है। उन्हें अपनी एसोसिएशन के माध्यम से अपने सदस्यों को केवल बाध्यकारी कारणों के होने पर ही स्थगन लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि देरी से मुकदमों का खर्च बढ़ता है जिससे अधिकांश लोगों के लिए न्याय मृग मरीचिका बन जाता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी भूमिका प्रभावी ढंग से निभाने के लिए, अधिवक्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विधिक समाज ज्ञान संपन्न, सुप्रशिक्षित, सर्वोत्तम सुविधाओं और बुनियादी ढांचे से सुसज्जित हो तथा सबसे महत्वपूर्ण है कि वह सामाजिक रूप से प्रतिबद्ध हो। उन्हें अपने पेशे में आत्मविश्वास प्रदर्शित करना चाहिए और अपने पेशे में सुरक्षित महसूस करना चाहिए। यह प्रभावी न्याय उपलब्धता प्रणाली की स्थापना की पहली शर्त है।

राष्ट्रपति ने, पश्चिम भारत अधिवक्ता एसोसिएशन की सराहना करते हुए कहा कि इसका सृजन भारत के राजनीतिक इतिहास में उल्लेखनीय क्षण था। इसने स्वशासन आंदोलन में और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए विधिक पेशे से जुड़े लोगों में जागरूकता की शुरुआत की। इसने इस पेशे से नेतृत्व की नई किस्म खड़ी की, जिसने स्वतंत्रता प्राप्ति के संघर्ष में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह विज्ञप्ति 1900 बजे जारी की गई।

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